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शनिवार, जुलाई 20, 2013

विचलित व्यथित मन से कैसे खोलूँ द्वार

विचलित व्यथित मन से कैसे खोलूँ द्वार 
जो हरियाये हर चमन को कोई आँगन ना हो उजियाड 
मिड डे मील त्रासदी से मन है बेहद बेज़ार
फिर भी आपकी पोस्ट्स से चर्चामंच हो गया तैयार 



करूं न याद, मगर किस तरह भुलाऊं उसे...

जरूरत नहीं 



चुनावी भाषणों में अब, भुना रहे हैं यहाँ..

भुनाये जाओ 



सबसे जुदा होता है 


गुजरा हुआ ज़माना आता नहीं दोबारा






कौन इसे संभाले


कुछ नहीं 


एक पहचान


निभाओ तो ऐसे 


बडे मत करो 


शब्द सृजन

करे जाओ 


सुन्दर संस्मरण 



निश्चित है 


किसकी किससे ?


ओह ! ऐसा क्या 


क्या कहते हैं 


आखिर कब तक ना करें 


एक पहेली


हाजिर हैं 


निन्दनीय


 आखिर कब तक ?


इसमें क्या शक है 

एक व्यक्तित्व 
एक कडवा सच 


अब आज्ञा दीजिये ………फिर मिलते हैं 

आगे देखिए..."मयंक का कोना"
(1)
मित्रों!
आज अपने काव्य-संकलन
से माँ वीणापाणि की वन्दना के रूप में
पहली रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मेरा वन्दन स्वीकार करो।
माँ बस इतना उपकार करो।
(2)
कुछ लिंक सृजन मंच ऑनलाइन से..
सृजन मंच ऑनलाइन
(अ)
सिरजन 'सृजन-मंच' पर, करिये अपना पद्य |
रखिये इतना ध्यान पर, नहीं चलेगा गद्य |
(आ)
आधा बेंचा खेत तो, पूरा किया दहेज़* |
आधा बाँटे बहन फिर, स्वर्ग पिता* को भेज |
(3)

'आहुति' पर sushma 'आहुति' 

(4)
सच कह रहा हूं, आने वाले समय की आहट हम सब सुन नहीं पा रहे हैं। इसका नतीजा किसी एक को नहीं, बल्कि हम सबको भुगतना पड़ सकता है। जरूरी है कि मीडिया एक बार फिर प्रोफेशन से हटकर मिशन बनकर उभरे...

TV स्टेशन ...पर महेन्द्र श्रीवास्तव

(5)

स्पर्श पर Deepti Sharma

(6)
मित्रों!
आज एक कव्वाली बन पड़ी है...!
नजरों से गिराने की ख़ातिरपलकों पे सजाये जाते हैं।
मतलब के लिए सिंहासन पर, उल्लू भी बिठाये जाते हैं।।
उच्चारण पर रूपचन्द्र शास्त्री मयंक

24 टिप्‍पणियां:

  1. अद्यतन लिंको के साथ स्तरीय चर्चा।
    वन्दना जी आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात दीदी
    रुचि परक लिंक्स हैं आज
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. बढिया चर्चा,
    मयंक का कोना में मुझे भी शामिल करने के लिए आभार शास्त्री जी

    जवाब देंहटाएं
  4. वन्दना जी, देश के वर्तमान हालातों पर गहरी नजर रखते कई लिंक्स से आज की चर्चा भी काफी महत्वपूर्ण हो गयी है. आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. बढिया चर्चा सुन्दर संकलित सूत्र आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन और कुछ नवीनता सी लिये चर्चा, शुभकामनाएम.

    रामराम

    जवाब देंहटाएं
  7. बढ़िया प्रस्तुति ,वंदना जी गुरु जी बधाई
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  8. आदरणीया वंदना जी बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुत की है आपने हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने हेतु हार्दिक आभार आपका.

    जवाब देंहटाएं
  9. शुक्रिया... वन्दना जी...
    सभी लिंक बहुत अच्छे और रुचिकर हैं...

    जवाब देंहटाएं
  10. सभी लिंक्स बहुत अच्छे हैं... ! नेट ठीक से ना चल पाने के कारण रुक-रुक कर सब पर जा पा रही हूँ..!:)
    मेरी रचना को स्थान देने का आभार!

    ~सादर!!!

    जवाब देंहटाएं
  11. वंदना जी बहुत ही सुन्दर चर्चा प्रस्तुत की है आपने हार्दिक बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  12. सुन्दर रंग विरंगी चर्चा. अच्छे लिनक्स . आभार

    जवाब देंहटाएं
  13. धन्यवाद वंदना , इस चर्चा में मुझे शामिल करने के लिए और बहुत सी चुनी हुई उम्दा रचनाएँ पढवाने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  14. खूबसूरत रंगों से सजी , मेहनतकश सुन्दर चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  15. शामिल करने और अन्य अच्छी रचनाओं से रू-ब-रू कराने का शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं

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