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गुरुवार, अगस्त 22, 2013

"संक्षिप्त चर्चा - श्राप काव्य चोरों को" (चर्चा मंचः अंक-1345)

आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत है
पिछले सप्ताह मेरी खुद की तबीयत खराब थी तो आज ब्रॉड बैंड का बैंड बज चुका है , कुछ लिंक लगाएँ हैं इन्हे ही काफी समझना ।

चलते हैं चर्चा की ओर

  
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जाले  
  
  
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धन्यवाद
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"मयंक का कोना" अद्यतन लिंक
(1)
इश्क मुझे मुकम्मल चाहिए था

 मौन के विस्तार में सिमटी रफाकत कि तहरीरे 
सच्ची तस्वीरों के झूठे भेद ..
कागज मेरा मीत है, कलम मेरी सहेली......
(2)
श्याम स्मृति...स्त्री-शिक्षा व शोषण-चक्र

यदि शिक्षा व स्त्री-शिक्षा के इतने प्रचार- प्रसार के पश्चात् भी शोषण व उत्प्रीणन जारी रहे तो क्या लाभ ? हमें बातें नहीं, कर्म पर विश्वास करना चाहिए, परन्तु यथातथ्य विचारोपरांत...
भारतीय नारी पर shyam Gupta 
(3)
नहीं जानती मैं यह सच है या भ्रम

अक्सर कुछ आहटें एक पदचाप सी पीछा करती है मेरा एक साया सा रहता है मेरे साथ लिपटी रहती है एक महक एक नम स्पर्श की नहीं जानती मैं यह सच है या भ्रम ...
नयी उड़ान +पर उपासना सियाग
(4)
श्रीमदभगवत गीता दूसरा अध्याय (श्लोक ४६ -५० )

आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma

(5)
"शूद्र वन्दना"
अपने काव्य संकलन सुख का सूरज से
"शूद्र वन्दना"
पूजनीय पाँव हैं, धरा जिन्हें निहारती।
सराहनीय शूद्र हैं, पुकारती है भारती।।...

सुख का सूरज

(6)
रक्षाबंधन
मेरा फोटो
ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया 

(7)
बादलों के रंग

बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय 

21 टिप्‍पणियां:

  1. भाई दिलबाग विर्क जी!
    आपने अस्वस्थ होतो हुए भी इतनी सुन्दर चर्चा को अंजाम दिया।
    आपकी निष्ठा और श्रम के लिए आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर व रोचक सूत्र, आराम से बैठकर पढ़ते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  3. तनिक हरकत नहीं करता सिसकती आह सुन मेरी,
    अगर गूंगा नहीं तो दिल तेरा बहरा हुआ होगा,

    ये सारा जिस्म थक के दोहरा हुआ होगा ,

    मैं सजदे में झुका था आपको धोखा हुआ होगा।


    चली आई मुझे तू छोड़ कर चुपचाप राहों में,
    तुझे महसूस शायद मुझसे ही खतरा हुआ होगा,

    ये कैसी रेल धक्कम पेल है भैया ,

    नहीं गणतंत्र ये तुझको मुफत राशन मिला होगा।

    बहुत बढ़िया प्रस्तुति है अरुण भाई

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. हार्दिक आभार आदरणीय सर जी आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

      हटाएं
  4. वाह रविकर जी वाह !

    लेकिन रानी तेज, और वह पूरा अहमक |
    करवा लेती काम, फाइलें चाटे दीमक ||

    प्रजा तंत्र अब चाटे दीमक

    जवाब देंहटाएं
  5. साहित्यिक इतिहासिक फ़िल्मी परिवेश लिए अद्भुत आलेख प्रस्तुत किया है आपने बंधन रक्षा का पर। पुरुषोत्तम संगम युग पर स्वयं परमात्मा शिव अपने कल्प पहले के बच्चों को राखी बांधकर उनसे पवित्र होने का वचन लेते है। आत्मा के निज स्वरूप पवित्रता और प्रेम आनंद और शांति में स्थिर होने का पर्व है रक्षा बंधन मनुष्य मात्र का पर्व है यह सिर्फ भाई बहन का नहीं।

    (6)
    रक्षाबंधन

    ॐ ..प्रीतम साक्षात्कार ..ॐ पर सरिता भाटिया

    जवाब देंहटाएं
  6. लेकिन रानी तेज, और वह पूरा अहमक |
    करवा लेती काम, फाइलें चाटे दीमक ||

    प्रजा तंत्र अब चाटे दीमक

    फाइलें चाटे दीमक

    जवाब देंहटाएं
  7. पूजनीय पाँव हैं, धरा जिन्हें निहारती।
    सराहनीय शूद्र हैं, पुकारती है भारती।।
    बेहद सुन्दर रचना "-हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती ,स्वयं प्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती "रचना सहज होंठों पर आ गई।

    जवाब देंहटाएं
  8. शीघ्र पूर्ण स्वस्थ हों
    आप भी आपका ब्राड बैंड भी-

    सुन्दर चर्चा-
    आभार आदरणीय दिलबाग जी-

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बहुत धन्यवाद आपका रूपचन्द्र जी .....................
    मुझे चर्चामंच में शामिल करने के लिए .....................

    जवाब देंहटाएं
  10. आदरणीय दिलबाग भाई जी बेहद सुन्दर चर्चा लगाई है आपने जबकि आप अस्वस्थ हैं, हार्दिक आभार आपका. मुझे स्थान देने हेतु दिल से शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ..
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. आदरणीय दिलबाग भाई जी बेहद सुन्दर चर्चा लगाई है,आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  13. सुंदर सुसज्जित चर्चा
    मुझे शामिल करने के लिए गुरु जी हार्दिक आभार
    गुरु जी दिलबाग sir प्रणाम

    जवाब देंहटाएं
  14. विलम्ब से पहुंचने के लिए क्षमा!
    बहुत ही सुन्दर चर्चा! बहुत ही सुन्दर और उपयोगी लिंक्स! मेरे प्रयास को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार!

    जवाब देंहटाएं

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