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शुक्रवार, नवंबर 22, 2013

खंडित ईश्वर की साधना (चर्चा - 1437)

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मैं  राजेंद्र कुमार आज की चर्चा में आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ।
तो  चलते हैं आज की चर्चा की ओर
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खंडित ईश्वर की साधना 

Puja Upadhyay 

मेरे बिना तुम हो भी इसपर मुझे यकीन नहीं होता. खुदा होने का अहं है. मैंने तुम्हें रचा है. बूंद बूँद रक्त और सियाही से सींचा है तुम्हें. मेरे बिना तुम्हारा कोई वजूद कैसे हो सकता है. तुम्हें रचते हुए कितना कितना तो खुद को रखती गयी हूँ तुम्हारे अन्दर.

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"गीत गाना आ गया है" 

 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 


अब हमें बातें बनाना आ गया है,
पत्थरों को गीत गाना आ गया है।

हसरतें छूने लगी आकाश को,
प्यार करने का ज़माना आ गया है।

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श्रद्धा की राह में...!

अनुपमा पाठक
ये किस द्वन्द में
पड़ गए हम...
कौन भक्त
कौन भगवन...?

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चुनाव महोत्सव

कविता रावत 

हमारी भारतीय संस्कृति में अलग-अलग प्रकार के धर्म, जाति, रीति, पद्धति, बोली, पहनावा, रहन-सहन के लोगों के अपने-अपने उत्सव, पर्व, त्यौहार हैं, जिन्हें वर्ष भर बड़े धूमधाम से मनाये जाने की सुदीर्घ परम्परा है।

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लाज लुटी, बस्ती बटी, दंगाई तदवीर-

रविकर

दागी बंदूकें गईं, चमकाई शमशीर |
लाज लुटी, बस्ती बटी, दंगाई तदवीर |

दंगाई तदवीर, महत्वाकांक्षा खाई |
दिया-सलाई पाक, अगर-बत्ती सुलगाई | 

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समता विषमता

काम एक ही है दोनों समाजों का लेकिन उसके निपटान में वैषम्य है। पेट्स अमरीकी समाज का एक प्रधान अंग हैं। वहाँ पालतू कुत्ते (स्वान )ही आपको दिखेंगे।

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तुम जाने अनजाने ही अब साथ हमारे होते हो ,


विजयलक्ष्मी

कैसे कहते आंसू अपने मन मे बर्फ हुए बैठे हम
तुम को दुःख में देख न पाते रहे मुस्काते बैठे हम
 तुम जाने अनजाने ही अब साथ हमारे होते हो ,
बंद रहे या खुली पलक नैनो में ही रहते हो

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दिलासों को छूके, उम्मीदों से मिलके 

 

एक छोटी सी बच्ची ट्रेन की पटरियों के ठीक बीचों-बीच बेफ़िक्री से चलती है। उसके दाएं हाथ में लाल फूलों का गुच्छा है। लाल नहीं, गहरे गुलाबी-नारंगी फूलों का। 

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अपनी भी परछाई देखो

श्यामल सुमन

सब में नहीं बुराई देखो
अपनी भी परछाई देखो

है पड़ोस में मातम फिर भी
इक घर में शहनाई देखो

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कितना सुंदर पथ है उसका 

अनिता  

भक्त वही है जिसका मन ईश्वरीय भावों से लबालब भरा हुआ है, भीतर एक प्रकाश फैला है जो उसके अस्तित्त्व के कण-कण को भिगो रहा है. शास्त्रों में लिखी बातें उसके लिए सत्य सिद्द हो गयी हैं. आकाश व्यापक है पर आकाश भी भगवान में है,

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पेट्रोलियम नीति की समीक्षा ?

डॉ आशुतोष शुक्ला  

पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने एनर्जी कॉन्क्लेव में अपनी तरफ से सरकारी रुख को स्पष्ट करते हुए यह कहा है कि सरकार का अगले छह महीनों में डीज़ल को भी नियंत्रण मुक्त कर देने का इरादा है जिसके बाद पेट्रोल की तरह इसके मूल्य का निर्धारण सरकार नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय 

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पुरानी फाईलें और खतों के चंद कतरे !

 

कोचीन से पेन फ्रेंड सुबास मेनन का 21-06-89 का ख़त  
कच्ची उम्र में हम सब के शौक(हॉबी) कितने बदलते रहते हैं ,इसका आभास हम सबको अकसर होता है.दीपावली के एक दिन पूर्व किताबों की आलमारी की सफाई करते वक्त

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हाँ, हम बदल गये…

अंजना दयाल


पँछियों कि तरह उड़ना चाहा, पर मेरे आसमाँ कि हद तय कर दी गयी,
बहुत प्यार था उन धागों में जो न जाने कब ज़ंज़ीरों में बदल गए,

दुलार दर्द में बदल गया, प्यार-भरे बोल धमकियों में बदल गए,
तहज़ीब दीवारों में ढलने लगी जब रिवाज़ ईंटो में बदल गए,
बबन पाण्डेय  
पत्थर हूँ मैं
झरने की वेगमयी धारा का विरोधी
टूट जाउंगा /बिखर जाऊँगा
यु ही घुटने नहीं टेकूंगा //

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मोदी जैसे नेता तो गली गली की खाक......

Shalini Kaushik


"I am not here to make you emotional, but to wipe your tears," said BJP PM candidate Narendra Modi at a rally in Jhansi on Oct 25. That was directly aimed at Congress AICC vice-president Rahul Gandhi, who recently made an emotional speech saying, "

सुषमा स्वराज कहती हैं -''मैं हमेशा से शालीन भाषा के पक्ष में रही हूँ .हम किसी के दुश्मन नहीं हैं कि अमर्यादित भाषा प्रयोग में लाएं .हमारा विरोध नीतियों और विचारधारा के स्तर पर है .ऐसे में हमें मर्यादित भाषा का ही इस्तेमाल करना चाहिए .''

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 तुम जो बसे परदेश पिया.

नीतीश तिवारी  

तुम जो बसे परदेश पिया,
मैं हूँ अपने देश पिया,
जब याद तुम्हारी आती है,
मेरे जिया को तड़पाती है .

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बचपन 

गरिमा
प्यारा बचपन न्यारा बचपन
और कितना दुलारा बचपन
रोते है हम चुप होते है
फिर सपनो में खो जाते है,

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धन्यवाद
नेट देवता की कृपा हुई अभी 9-30 पर
हाजिर है-
"मयंक का कोना"
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कार्टून :- मुत्थू सेंटर की दुल्‍हन

काजल कुमार के कार्टून
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आप और आपके ब्लाग का भविष्यफ़ल - 
साल - 2014


संत श्री श्री एक लाख चार सौ बीस ज्योतिष सम्राट श्री ताऊ महाराज की दिव्य दृष्टि से आने वाले साल 2014 का अपना और अपने ब्लाग का भविष्य फ़ल प्रकाशित किया जा रहा है. समस्त धर्मप्राण ब्लाग जनता से निवेदन है कि इसे पढें और लाभ उठायें...
ताऊ डाट इन
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सर्दी की लम्बी रातें
गुलाबी सर्दियों का मौसम शुरू हो रहा है 
फैला रही है ठण्ड धीरे धीरे अपने पाँव .. 
कोहरे की चादर तान कर 
स्याह सर्द रात लम्बी होती जा रही है .. 
तुम्हें तो पता नहीं है न ही होगा 

क्यूँ हो जाती हैं लम्बी रातें...
ज़िन्दगीनामा पर Nidhi Tandon
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सचिन [दोहे]
 सचिन आम इन्सान से, बने आज भगवान 

तुम हो भारत देश की, आन बान औ' शान ...
गुज़ारिश पर सरिता भाटिया 
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"प्यार की जड़ तलाश करते हो" 

रात में घर तलाश करते हो!
माल क्यों तर तलाश करते हो!!

छल-फरेबी के हाट में जाकर,
भीड़ में नर तलाश करते हो!
उच्चारण
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यौनोत्पीड़न के लिए, कुर्सी छोड़े आप-
शान्ता के चरण ; 
मर्यादा पुरुषोत्तम राम की सगी बहन : 
भगवती शांता सर्ग-३ भाग-1 
शांता चलती घुटुरवन, चहल पहल उत्साह | 

दास-दासियाँ रख रहे, चौकस सदा निगाह...
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
--
धर्म को विदा करो, विवेक को अपनाओ 

Blog News पर DR. ANWER JAMAL

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हक़ीक़त का सामना होगा

ग़ाफ़िल की अमानत पर 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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दशावतार की कथाएँ (१)

आह्वान पर डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन' 

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"उड़कर परिन्दे आ गये" 
जंगलों में जब दरिन्दे आ गये।
मेरे घर उड़कर परिन्दे आ गये।।

पूछते हैं वो दर-ओ-दीवार से,
हो गये महरूम सब क्यों प्यार से?
क्यों दिलों में भाव गन्दे आ गये?
मेरे घर उड़कर परिन्दे आ गये..
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चुनाव महोत्सव

KAVITA RAWAT पर कविता रावत
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कहाँ माँ -बेटा पार्टी /बकरी -मेमना पार्टी कहाँ भाजपा। 
एक "मोदी" कांग्रेस भी पैदा करके दिखाए 
आज मोदी से भाजपा है 
हिंदुस्तान की शिनाख्त है

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अँधेरा भी भला है मैं उस कि कद्र करता हूँशबे महताब में अक्सर हुयीं है चोरियां मेरी  (अज्ञात)
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ये है मुम्बई नगरिया तू देख बबुआ
समता विषमता
काम एक ही है दोनों समाजों का लेकिन उसके निपटान में वैषम्य है। पेट्स अमरीकी समाज का एक प्रधान अंग हैं। वहाँ पालतू कुत्ते (स्वान )ही आपको दिखेंगे। स्ट्रीट डॉग्स नहीं हैं। हमारे यहाँ दोनों हैं स्ट्रीट डॉग्स की टोली आपको दिल्ली हाट में भी मिल जायेगी गेट -वे आफ इंडिया पर भी। ज़ाहिर हैं वहाँ डॉग एक्सक्रीटा भी फुटपाथों पर दिखेगा जहाँ जहां स्ट्रीट डॉग्स होंगें।...

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सरस्वती वंदना (गीतिका छंद)

 ज्ञान दात्री शारदे मां, अब शरण में लीजिये ।
हम अज्ञानों से भरे है, ज्ञान उर भर दीजिये ।।
सत्य पथ पर चल सके हम, शक्ति इतना मन भरें ।
धर्म मानवता धरे हम, नष्ट दोषो को करें ।।
..................‘‘रमेश‘‘............... 

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! आवश्यक सूचना !
इस पोस्ट में 
किसी तकनीकी खराबी के कारण
बहुत सारे लिंक खुल नहीं रहे हैं।
इसलिए इसी चर्चा को 
पुनः लगाया जा रहा है!
इसके बाद वाली चर्चा भी लगी है।
कृपया उसको यहाँ देखें

11 टिप्‍पणियां:

  1. चर्चा मंच पर लिंक
    मतलब
    आज के दौर का स्तरीय लेखन

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर चर्चा
    उल्लूक देख रहा है
    मयंक जी का कोना
    लगता है आज
    थोड़ी देर बाद
    आकर यहाँ
    पहँच रहा है !
    :)

    जवाब देंहटाएं
  3. अजीब बात है शालिनी जी मोदी की पार्टी के लोगों की तो प्रशंसा कर रहीं हैं ,मोदी को लांछित कर रहीं हैं। साफ़ क्यों नहीं कहतीं क्या कहना चाहतीं हैं मोदी के बारे में। बात ऐसे कर रहीं हैं जैसे भाजपा के साथ इनका अंतरंग उठना बैठना हो ,अंदर की सब बातें यह जानतीं हों। एक कंठ से अटल जी की प्रशंसा दूसरे से उन्हें भारत रत्न दिए जाने का विरोध। मोदी के प्रति वह सिर्फ नफरत दिखा रहीं हैं। मोदी की वजह से अपने मन में कूड़ा भर रहीं हैं। बेहतर होता सोनिया जी की कोई खूबी बतलातीं अपने आराध्य राहुल बाबा की कोई खूबी बतलातीं। पता चलता आप उनके भी बारे में क्या जानतीं हैं।

    फिलाल तो आपने वही किया है -

    कहीं की ईंट ,कहीं का रोड़ा ,

    भानुमति ने कुनबा जोड़ा।

    आप एक ऐसी वकील हैं जिसके वक्तव्य से यह पता नहीं चलता आप किसके पक्ष और किसके विपक्ष में बोल रहीं हैं।एक ऐसी वकील जो अपने मवक्किल के केस को हमेशा हारती रही होगी। इसे अनर्गल प्रलाप न कहा जाए तो क्या कहा जाए। आपके बोलने का तरीका अपने मन के कूड़े को औरों पर फैंकने की कोशिश है। जितना फैंका है उतना कूड़ा अंदर और बढ़ा लिया है।

    यह प्रलाप पागलपन की ओर बढ़ रहा है। जिसे पढ़कर कोई भी समझ सकता है इस शख्श को मानसिक इलाज़ की ज़रुरत है। आपने जो कुछ लिखा है अनर्गल लिखा है यह कोई राजनीतिक विश्लेषण नहीं है। जो लिखा है उसमें शालीनता भी कुछ नहीं है अपने नाम के अनुरूप कुछ तो लिख देतीं। दुर्भाग्य आपका यह है आप अपने प्रलाप का सार भी नहीं जानती।

    दाल भात में मूसल चंद।

    शालिनी ने मोदी को खलनायक बनाया है। लेकिन मोदी को गाली देने के लिए उन्हें दूसरों की तारीफ़ भी ढंग से करनी नहीं आई । वह जो सूर्य की ओर थूका करते हैं उनका थूक उन पर वापस आता है। सोनिया राहुल में क्या काबिलियत है आपको बताना चाहिए। मोदी की काबलियत से तो आज कांग्रेस की नींद उड़ी हुई है।

    मोदी जैसे नेता तो गली गली की खाक......
    Shalini Kaushik


    जवाब देंहटाएं
  4. राजेन्द्र भाई इतनी सुन्दर चर्चा और तमाम सेतु। साथ में हमने बिठाया ,हमारा मान बढ़ाया। बधाई सुन्दर चर्चा के लिए आभार हमने जगह देने के लिए आपका भी परम आदरणीय शास्त्री जी का भी।

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह इस बेढ़ब उत्सवी माह को भी आपने संस्कृति के रंगों में बदल दिया एक बोध कथा सी सीख दे दी कबीर के झरोखे

    से .
    जागो लोगो मत सुवो, न करू नींद से प्यार।
    जैसा सपना रैन का ऐसा ये संसार।।
    यदि समय पर कोई दूर की सोचकर नोन-तेल, लकड़ी के चक्रव्यूह में से बाहर निकलकर सही को चुन लेने में सक्षम होता है, तो उसे बाद में पछताना नहीं पड़ता है। समय रहते चेत जाना ही बुद्धिमानी है। इस बात को महान समाज सुधारक कबीरदास जी ने बहुत सटीक शब्दों में व्यक्त किया है-
    चेत सबेरे बावरे, फिर पाछे पछताय।
    तोको जाना दूर है, कहै कबीर बुझाय।।

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    उत्तर

    1. ज़ाम दहशत के ढालने वालों,
      पीड़ में सुर तलाश करते हो!

      सूखी दरिया में बसे बाशिन्दों,
      क्यों समन्दर तलाश करते हो!

      “रूप” का आइना दिखा करके,
      प्यार की जड़ तलाश करते हो!

      सुन्दर रचना है। गुरु समान भाई पीर शब्द ज्यादा कोमल है पीड़ से।

      माई री मैं का से कहूँ पीर अपने जिया की।

      हटाएं
  6. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  7. गुरुदेव चर्चा मंच का कोई भी लिंक नहीं खुल रहा है आज देखें क्या गड़बड़ है ठीक करें। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर चर्चा ! आज की,राजेंद्र जी.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार !!

    जवाब देंहटाएं

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