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मंगलवार, दिसंबर 10, 2013

"कमल से नहीं झाड़ू से पिटे हैं हम" (मंगलवारीय चर्चा --1457)

आज की मंगलवारीय  चर्चा में आप सब का स्वागत है राजेश कुमारी की आप सब को नमस्ते , आप सब का दिन मंगल मय हो, अब चलते हैं आपके प्यारे ब्लॉग्स पर...

कमल से नहीं झाड़ू से पिटे हैं हम


जवाब दो ‘आप’...खुशदीप

Khushdeep Sehgal at देशनामा 


फ़सल लहलहाने को तैयार है


बेजुबाँ होते अगर तुम बुत बना देते

Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR

ज़िन्दगी

शरण में आये हैं हम तुम्हारी


"कच्चे घर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at हँसता गाता बचपन 

वो कौन है दुनिया में जिसे ग़म नहीं होता…रियाज़ खैराबादी

डा. मेराज अहमद at समय-सृजन (samay-srijan) 


अधोपतन

Asha Saxena at Akanksha

muktak--pyaar me judaai ke kisse

Kirti Vardhan at samandar -

रामलीला-मंच -लघु कथा

shikha kaushik at भारतीय नारी 

शुक़्रिया

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ at ग़ाफ़िल की अमानत - 

धड़कन में ''आप '' है

Swati Vallabha Raj at अनीह ईषना 

आज की चर्चा यहीं समाप्त करती हूँ  फिर चर्चामंच पर हाजिर होऊँगी

कुछ नए सूत्रों के साथ तब तक के लिए शुभ विदा बाय बाय ||

--
आगे देखिए.."मयंक का कोना"
--

आ गई हैं सर्दियाँ मस्ताइए।
बैठकर के धूप में सुस्ताइए।।

रोज दादा जी जलाते हैं अलाव,
गर्म पानी से हमेशा न्हाइए।
बैठकर के धूप में सुस्ताइए।।
--
सड़े हुऐ पेड‌ की फुनगी पर 
कुछ हरे पत्ते दिखाई दे रहे हैं 
का समाचार लेकर अखबारी दीमक
 दीमकों की रानी के पास डरते डरते जा पहुँचा 
उसके मुँह पर उड़ रही हवा को देखकर 
रानी ने अपने मंत्री दीमक को ईशारा करके पूछा 

क्या बात है क्या हो गया...
उल्लूक टाईम्स पर सुशील कुमार जोशी
--
चलो आज लिख देते हैं
सिलसिलेवार दास्तान
तमाम उम्र के मुर्दा शब्दों की
जहां मुहब्बतों के कितने ही फूल
ख़ुदकुशी कर सोये पड़े हैं
कब्रों में …

हरकीरत ' हीर'
--

AAWAZ पर SACCHAI 
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ज़िंदगी एक नाटक है 
हम नाटक में काम करते हैं 
पर्दा उठते ही पर्दा गिरते ही 
सबको सलाम  करते हैं ...
मेरा फोटो
"मेरी पुस्तक - प्रकाशित रचनाएँ : 
--
hansee हँसी
ये हँसी ,  
कितनी हसीन है 
जब होता है खुशी मन 
ये ,हंसी आती है 
बड़ी आनंद दायक होती , 
गुदगुदाती है कोई चुपके से 
दबी दबी हँसी हँसता है कोई...
*साहित्य प्रेमी संघ*परGhotoo 
--
Canadian Autumn....

काव्य मंजूषा पर स्वप्न मञ्जूषा

--
"आप" की गंदी राजनीति...

आइये, कुछ बातें करें ! पर 

अचानक से ही मुझे सतयुग आने के आसार नजर आने लगे, यह जानते हुए भी कि "आप" सरकार नहीं बनाना चाहती और यह न जानते हुए भी कि सतयुग में कौन से महापुरूष अवतरित हुए थे, बहरहाल आज की राजनीति पर एक लघु चर्चा कर लेने में किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए...
मनोज कुमार श्रीवास्तव
--
स्‍वार्थी मुन्‍ना की 
हालिया रचित कविता 
अविनाश वाचस्‍पति की कलम से : 
'आप' के लिए

स्‍वार्थ की खुशी ... 
लूटना चाहता हूं 
मन की पूरी करना चाहता हूँ 
स्‍वार्थी बने रहना चाहता हूँ 
मुझसे कोई मेरा स्‍वार्थ न छील ले 
और बिखेर दे मेरे स्‍वार्थ को 
प्‍याज के छिलकों की तरह 
परत दर परत ...
अविनाश वाचस्पति पर नुक्‍कड़ 
--
राजनैतिक तुकबन्दियाँ
करारी मात के बाद.... 
अब क्या करेगी कांग्रेस 
दुम दबा मुँह छुपाएगी या..
हालात करेगी फेस 
सुना था किसी विज्ञापन में कि.... 
चीता भी पीता है केजरीवाल मगर देखो... 
बिना खाए पिए ही जीता है अपनी इज्ज़त....
हँसते रहो पर राजीव तनेजा

--
सुनो सूरज तुम जा रहे हो.. 
मैं भी चलता हूं..

सुनो सूरज
तुम जा रहे हो..
मैं भी चलता हूं..
तुम्हारी मेरी
हर एक शाम
एक अनुबंधित शाम है
तुम भी घर लौटते हो
रोजिन्ना मैं भी घर लौटता हूं..

मिसफिट Misfit पर Girish Billore 
--
कार्टून :-  
'आप' वालों की सरकार तो बननी ही नहीं चाहि‍ए 
 
काजल कुमार के कार्टून

23 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर चर्चा !
    श्री राहुल मिश्रा का नये चर्चाकार के रूप में स्वागत है !
    आज का चर्चा अंक 1457 होना चाहिये !
    उल्लूक के भी कुछ कुछ बहुत कुछ यानी
    1. जरूरी जो होता है कहीं जरूर लिखा होता है
    और
    2.दीमक है इतनी जल्दी हरियाली देख कर कैसे हार जायेगा
    की चर्चा आज की चर्चा में करने पर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर चर्चा !
    श्री राहुल मिश्रा का नये चर्चाकार के रूप में चर्चा मंच पर स्वागत है !
    आज का चर्चा अंक 1457 कर दिया है।
    आदरणीय सुशील जोशी जी आपका आभार।
    --
    बहन राजेश कुमारी जी आपका धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर बहुआयामी सूत्रों से सजा आज का चर्चामंच |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  4. shukriya aapka meri kavita ko shamil karne ke liye. aapka dhanywaad.
    vijay

    जवाब देंहटाएं
  5. लेना देना जब नहीं, करे तंत्र को बांस |
    लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास |

    मानो सीट पचास, इलेक्शन होय दुबारे |
    करके अरबों नाश, आम पब्लिक को मारे |

    अड़ियल टट्टू आप, अकेले नैया खेना |
    सबको माने चोर, समर्थन ले ना दे ना ||

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर चर्चा। । अनीह ईषना की चर्चा करने के लिए धन्यवाद :)

    जवाब देंहटाएं
  7. अच्छी चर्चा। मुझे शामिल करने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा मंच

    जवाब देंहटाएं
  9. रूह प्यासी क्यूँ ये सहरा में खड़ी होती
    प्यार का चश्मा अगर दिल में बहा देते

    उर्दू अदबीअत की याद दिलाते हैं अशआर ,

    अलफ़ाज़ के मानी समझाते हैं ये अशआर।

    बढ़िया पायेदान की गज़ल।


    बेजुबाँ होते अगर तुम बुत बना देते
    Rajesh Kumari at HINDI KAVITAYEN ,AAPKE VICHAAR


    जवाब देंहटाएं

  10. शुक़्रिया
    चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ at ग़ाफ़िल की अमानत
    जिसने भेजा सलाम उसको शुक्रिया अपना

    नाम लेकर के उसका क्यूँ करें रुसवा उसको।
    बढ़िया अंदाज़ -ए -बयाँ

    जवाब देंहटाएं

  11. Monday, 9 December 2013

    लोकसभा में आप की, मानो सीट पचास -
    आपका ब्लॉग
    कमल से नहीं झाड़ू से पिटे हैं हम

    पूर तमन्ना हो गई, जीते आप चुनाव |
    पर अट्ठाइस सीट से, होता नहीं अघाव |

    होता नहीं अघाव, दाँव लम्बा मारेगा |
    होगा पुन: चुनाव, आप सब को तारेगा |

    आये सत्तर सीट, जुड़ेगा स्वर्णिम पन्ना |
    सारी दुनिया साफ़, तभी हो पूर तमन्ना ||

    रविकर भाई का ज़वाब नहीं


    पर अट्ठाइस सीट से, होता नहीं अघाव-
    रविकर at "लिंक-लिक्खाड़" -

    जवाब देंहटाएं
  12. तेज धुन झूठ की वो बजाने लगा
    ताल पर उसकी सबको नचाने लगा

    उसके चेहरे से नीयत न भाँपे कोई
    इसलिये मूँछ दाढ़ी बढ़ाने लगा

    सबसे कहकर मेरा धर्म खतरे में है
    शेष धर्मों को भू से मिटाने लगा

    वोट भूखे वतन का मिले इसलिए
    गोल पत्थर को आलू बताने लगा

    सुन चमत्कार को ही मिले याँ नमन
    आँकड़ों से वो जादू दिखाने लगा

    वाह दोस्त पूरी पोल खोल दी राजनीति के धंधा बाज़ों की।


    ग़ज़ल : तेज धुन झूठ की वो बजाने लगा
    सज्जन धर्मेन्द्र at ग्रेविटॉन

    जवाब देंहटाएं
  13. बना मील का पत्थर जो, पथ को इंगित करता है,
    वो संगी-साथी बनकर, कैसे व्यवहार करेगा?
    वो कुदरत की संरचना को, कैसे प्यार करेगा?

    सुन्दर मनोहर।


    "कैसे प्यार करेगा?" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक')
    रूपचन्द्र शास्त्री मयंक at उच्चारण -

    जवाब देंहटाएं
  14. बढ़िया लिंक्स से सुसज्जित पठनीय चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  15. सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित चर्चा मंच

    जवाब देंहटाएं
  16. चर्चामंच की शोभा बढाने हेतु आप सभी का हार्दिक आभार

    जवाब देंहटाएं
  17. स्नेह देने के लिये आपका आभारी हूं

    जवाब देंहटाएं

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