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शनिवार, अप्रैल 19, 2014

"फिर लौटोगे तुम यहाँ, लेकर रूप नवीन" (चर्चा मंच-1587)

मित्रों!
शनिवार के चर्चाकार
आदरणीय राजीव कुमार झा ने बताया है कि
वो कुछ व्यस्त हैं। 
इसलिए मेरी पसंद के कुछ लिंक देखिए।
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गुड़ फ्राइडे यानी पावन शुक्रवार 

कुछ अलग सा पर गगन शर्मा
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लोहे से बनीं नहीं मैं..... जो.…
टूट कर बिखर जाऊँगी 
मोम सी प्रकृति है मेरी,,, मैं.…
पिघलकर फिर जम जाऊँगी...

Tere bin पर Dr.NISHA MAHARANA 

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वृक्ष और बालक 

सत्यार्थमित्र पर सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी
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सेहतनामा 

Virendra Kumar Sharma 
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वाड्रा का काला चिट्ठा 

और अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल 

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने एक दशक में रियल एस्टेट का विशाल साम्राज्य खड़ा कर लिया जबकि उनके पास इसका कोई अनुभव नहीं था. यह रहस्योद्घाटन किया है अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने....
AAWAZपरSACCHAI 
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कह मुकरियां 1 से 10. 

1. लीला सखिओं संग रचाता 
मन का हर कोना महकाता 
भागे आगे पीछे दैया 
क्यों सखि साजन ? 
ना कन्हैया...
गुज़ारिशपरसरिता भाटिया
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"ईश्वर-अल्लाह कैद हो गया 

आलीशान मकानों में" 


भटक रहा है आज आदमी, सूखे रेगिस्तानों में।
चैन-ओ-अमन, सुकून खोजता, मजहब की दूकानों में।
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बोकारो में बम फटे, लोकतंत्र पर घाव | 
गिरीडीह में पर हुवे, अच्छे भले चुनाव | 
अच्छे भले चुनाव, करें उत्पात नक्सली |
रविकर पीठासीन, देह में मची खलबली |
साठ फीसदी पोल, शक्ति मतदाता झोंका |
खा बैलट के बुलट, मरेगा नक्सल-बोका || 

"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर
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एक ग़ज़ल : वही मुद्दे ,वही वादे.... 

वही मुद्दे , वही वादे ,वही चेहरे पुराने हैं 
सियासत की बिसातें हैं शराफ़त के बहाने हैं... 
आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक
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नज़रे इनायत नहीं.. 

पार्श्वभूमी बनी है , 
घर मे पड़े चंद रेशम के टुकड़ों से..
किसी का लहंगा,तो किसी का कुर्ता..
यहाँ बने है जीवन साथी.....
simte lamhen पर kshama 
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"प्यार का ज़ज़्बा बनाता मोम पत्थर को" 


रतन की खोज में हमने, खँगाला था समन्दर को
इरादों की बुलन्दी से, बदल डाला मुकद्दर को

लगी दिल में लगन हो तो, बहुत आसान है मंजिल
हमेशा जंग में लड़कर, फतह मिलती सिकन्दर को..
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सरकार की नहीं सोच पा रहा हूँ सरकार 

तेरी वोट से ही
बनने जा रही है
इस बार की सरकार
सुन नहीं रहा है
अब की बार बस
उसकी सरकार
सुन तो रहा हूँ पर
गणित में कमजोर हूँ...
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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"कोढ़ में खाज"

निर्दोष से प्रसून भी डरे हुए हैं आज।

चिड़ियों की कारागार में पड़े हुए हैं बाज...
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युग परिवर्तन की है वेला 

आज सभी की चाह यही है
सबकी मांग अथाह यही है
सभ्य समाज की हो निर्माण
हो श्रेष्ठ सुन्दर अभियान...
BHARTI DASपरBharti Das

मौन..... 

नदिया मौन सागर मौन पर्वत मौन अम्बर मौन
हर मौन का जीवन दर्शन, बिन कवि के समझे कौन?..
मधुर गुंजनपरऋता शेखर मधु 
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बुत किसे होना पड़ा 

काँटों पे सोना पड़ा 
फूलों को रोना पड़ा...
गीत-ग़ज़लपरशारदा अरोरा
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मार्खेज़ की दुनिया में  उद्दाम प्रेम के बहुरंगी दृश्य हैं;न खत्म होने वाली बारिशें हैं;पसीनों की और अमरूदों की और समुद्रों की नम हवाओं वाली गन्ध है;दुपहरियों की अलसायी नींद भरी झपकियाँ हैं. जीवन के जादू को साहित्य में बहुत सारे लेखक लाते रहे हैं लेकिन मार्खेज़ का होना हमें बताता है कि जीवन को साहित्य में किस तरह जादुई बनाया जा सकता है!

naveen kumar naithani 
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संजय मिश्र ''हबीब' नाम था उसका, वह फेसबुक में भी 'है' , लेकिन फेस-टू -फेस ज़्यादा रहता था. बेहद सहज-सरल, ईमानदार, समर्पित संजय की विशेषता यह थी की वह छंद में कविता लिखता था, गीत-ग़ज़ल की दुनिया का उभरता हुआ हस्ताक्षर था. आज दोपहर मुझे ललित मिश्र का एसएमएस मिला तो सन्न रह गया. (आज सुबह सड़क हादसे मे संजय का निधन हुआ, किसी बड़े वाहन ने उसे टक्कर मारी और भाग खड़ा हुआ) संजय की फोटोग्राफी में गहरी रूचि थी, छंदबद्ध कविता उसे पसंद थी.अपनी अनेक कवितायेँ मंच सञ्चालन के समय संजय के मुंह से सुना करता था मैं । मेरे प्रति उसका सम्मान अद्भुत था, वैसे भी बड़ो के प्रति सम्मान का भाव रहता था उसके मन में. एक बार मैं अपने कविता सुना रहा था तो उसने उसे शूट करके यू ट्यूब में भी डाल दिया था. आज उसकी मौत की खबर सुन कर आँखे अपने आप बहने लगीं , आंसुओं को बुलाना नहीं पड़ता, वे अपने आप आ जाते है दुखी मन को सहलाने। आंसुओं के साथ संजय को याद करते हुए पांच दोहे भी बाहर निकल पड़े-

मुझसे क्या से हर एक से , था वह बड़े करीब।
चला गया अब दूर वो, संजय मिश्र 'हबीब'।।
सहज-सरल निर्मल ह्रदय, जिसका रहा स्वभाव,
बुला लिया प्रभु ने उसे, इतना रहा लगाव.
छंद-साधना में रहा, संजय सदा प्रवीन,
प्यार पुरातन से रहा, सोच थी अर्वाचीन (आधुनिक)
मन्त्र एकता का जिया,ऐसा रहा अदीब,
इसीलिये उपनाम था, संजय मिश्र 'हबीब'.
चले गए असमय मगर, मुझको बड़ा यकीन,
फिर लौटोगे तुम यहाँ, लेकर रूप नवीन

(1)

धू धू जलता हुआ जहां, अखबार उठाया तो देखा.
सुर्ख आसमां, गर्म फिजां, अखबार उठाया तो देखा.

चिथड़ा बचपन रस्ता-रस्ता, खुली हथेली लिए खडा,
बाल दिवस पर चित्र नया, अखबार उठाया तो देखा.

असासे मुल्क से संगे वफ़ा, जाने किसने खींच लिया,
चंद सिक्कों पर खडा जहां, अखबार उठाया तो देखा.

सूरत से इंसान सभी, सीरत की बातें बोलें क्या,
बेदार बिलखती मानवता, अखबार उठाया तो देखा.

इश्क खुदा है सूना कहीं था, खुदा खो गया देखा आज,
हर दिल में नफ़रत के निशाँ, अखबार उठाया तो देखा.

हबीब मेरा हाकिम हुआ, फरमान अजाब सा ये आया,
सच कहना भी जुर्म बना, अखबार उठाया तो देखा.


(2)
जाने कैसे वह दीवाना हो गया.
जिसे समझते थे कि सयाना हो गया.

दर्द सभी अपने छिपाते छिपाते,
दर्द का वह शख्श पैमाना हो गया.

ख्वाहिशे खैरअंदेशी ही ना रखो,
फिर ना होगा, वह बेगाना हो गया.

शम-ए-हकीकत में आज ख़्वाबों का,
ज़हां जला ऐसे, परवाना हो गया.

छा गईं घटाएं फिर यादों की हबीब

आँखों को बरसने का बहाना हो गया. 
--

चर्चा मंच परिवार की ओर से
को भावभीनी श्रद्धांजलि।

12 टिप्‍पणियां:

  1. अभी अभी चर्चा मंच खोला तो यह दुखद समाचार पढ़ा...एक अच्छे सधे हुए छंदकार एवं गजलकार आदरणीय संजय मिश्रा ''हबीब'' जी का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया|...जब से ब्लॉग बनाया था मैंने...वे बड़े ही शालीन और आदरभाव से मेरी रचनाओं पर कमेंट दिया करते थे...हिन्दी हाइगा ब्लॉग पर कमेंट के रूप में दिए गए उनके हाइकुओं पर मैंने हाइगा बनाया था...श्रद्धांजली के रूप में वह लिंक दे रही हूँ...ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें एवं शोकसंतप्त परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति दें !!

    http://hindihaiga.blogspot.in/2012/07/blog-post.html

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  2. आज चर्चा भी गमगीन है । मार्खेज और संजय मिश्रा 'हबीब' दोनो को विनम्र श्रद्धाँजलि ।

    जवाब देंहटाएं
  3. संजय जी एवं मार्खेज जी को विनम्र श्रद्धांजलि समर्पित है ! उनके जाने से जो अपूरणीय क्षति हुई है उसकी भरपाई होना आसान नहीं !
    मेरी रचना को आज के मंच पर स्थान देने के लिये शुक्रिया ! आभार आपका !

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  4. kuchh log aise jate hain ki taumra unke ahas ....aaspas mandrate rahte hain ....jinki bharpaai koi nahi kar sakta .....vinamr shradhanjli unhen .....mery rachna ko charcha manch men shamil karne ke liye dhanyavad nd aabhar ........shastri jee ...

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  5. बढ़िया सूत्रों के साथ बढ़िया प्रस्तुति , शास्त्री जी व मंच को धन्यवाद !
    Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )

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  6. बढियाँ प्रस्तुति मुझे भी सम्मान दिया आपने धन्यवाद .
    दिवंगत आत्मा को तहे दिल से श्रद्धांजली

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  7. मार्खेज और संजय मिश्रा 'हबीब' जी दोनो को विनम्र श्रद्धांजलि...बहुत सुन्दर और रोचक चर्चा...आभार..

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  8. 'हबीब' जी को विनम्र श्रद्धांजलि

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  9. स्व.संजय मिश्र 'हबीब'
    को भावभीनी श्रद्धांजलि।

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  10. Sanjay ji aur Markhej ji ko namr Shradhanjali.
    Tum Chale jaoge par kawita rah jayegi
    Maun men bhi mukhar bani rah jayegi.

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