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रविवार, अप्रैल 27, 2014

मन से उभरे जज़्बात (चर्चा मंच-1595)


माँ सरस्वती को नमन 
आप सभी को प्रणाम 
रविवारीय चर्चा ''मन से उभरे जज़्बात (चर्चा मंच-1595)'' में आप सभी का स्वागत 

मन में एक ख्याल आया कि क्यों न जब लिंक्स को क्लिक करके ही हम सब की अभिव्यक्ति को पढ़ते हैं, तो फिर सिर्फ लिंक्स ही संजोई जाए। 
ये हो सकता है की देखने में, इस से चर्चा छोटी लगे 
पर 
मैं विश्वस्थ हूँ की जब आप सबकी अभिव्यक्ति को पढ़ेंगे तो कोई शिकायत नहीं रहेगी 
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आदरणीय ''गोदियाल जी'' जल्दी में है 
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आदरणीया ''साधना जी'' का लक्ष्य
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आदरणीय ''संजय जी'' को गौरैया नज़र नहीं आती
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आदरणीय ''वीरेंदर जी'' नन्हें मुन्हें 
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आदरणीय ''सुशील जोशी जी'' का सवाल सिस्टम से 
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आदरणीया ''सुगंधा जी'' महिलाएँ और राजनीति
--२४--
आदरणीया ''सुनीता जी'' सँवर जाते
--और अंत में--
''अभी'' किस ज़माने की बात करते हो
--२५--
आप सभी का सादर आभार 
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"अद्यतन लिंक"
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राजनाथ स‍िंह-एनडी त‍िवारी की मुलाकात को आप क्या मानेंगे ? भाजपा के लिए फायदेमंद कांग्रेस के लिए फायदेमंद दोनों के लिए घातक बे -बाकी से दो टूक टिप्पणी करें 

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आपका ब्लॉग पर Virendra Kumar Sharma
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अच्छी तरह से 

समझ लेना अच्छा होता है 

जब कोई समझा रहा होता है 

समझा कर 
जब कोई बहुत प्यार से कुछ समझा रहा होता है 
बस अच्छे दिन आने ही वाले हैं 
तुझे और बस तुझे ही केवल बता रहा होता है 
किसके आयेंगे कब तक आयेंगे 
कैसे आयेंगे नहीं सोचनी होती हैं...
उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी
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आज का युवा ! 

! कौशल ! पर Shalini Kaushik
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और एक दिन 

jyoti khare 
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उसमें दरिया के दरिया में नहा रही है वो 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
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हल्ला बोल 

जानती हूँ कि मैं कोई नई बात नहीं लिख रही हूँ ....पर...
Anju (Anu) Chaudhary
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"गीत-हमसफर बनाइए" 


18 टिप्‍पणियां:

  1. सतसैया के दोहरे, ज्यों नाविक के तीर।
    देखन में छोटे लगें, घाव करें गम्भीर।।
    --
    अभिषेक कुमार अभी जी नये ढंग से चर्चा लगाने के लिएआपका आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. अभिषेक आभार है पर सुशील को सुनील बना दिया आपने ये दूसरी बार है कोई नहीं हो जाता है । एक और रचना 'अच्छी तरह से समझ लेना अच्छा होता है जब कोई समझा रहा होता है' को स्थान मिला पुना:आभारी हूँ । चर्चा का अंदाज पसंद आया ।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. त्रुटि के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ आदरणीय। अब ऐसी भूल नहीं होगी।
      सादर

      हटाएं
  3. आदरणीय डॉ.सुशील जोशी जी।
    सुशील का सुनील भला कैसे हो सकता है।
    हमनें फिर से सुशील कर दिया है आपको।

    जवाब देंहटाएं
  4. shukriya dosto . aap sabhi ka .
    aapka pyaar hi nit naya likne ko prerit karta hai
    dhanywaad
    vijay

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर सूत्र, रोचक अंदाज़ एवं सराहनीय श्रम के लिये आप बधाई के पात्र हैं अभिषेक जी ! मेरी रचना को स्थान देने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं
  6. sundar charcha say saza manch....inmay mujhe shamil karne kay liye shukriya

    जवाब देंहटाएं
  7. थैंक्स अभी!
    सुन्दर लिंक्स के साथ मुझे भी जगह देने के लिए आभारी हूँ !

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. सुन्दर संयोजन ... आभार मेरी गज़ल को स्थान देने का ...

    जवाब देंहटाएं
  10. सुन्दर सूत्र संयोजन और सार्थक चर्चा
    बहुत बहुत बधाई अभी भाई

    मुझे सम्मलित करने का धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं

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