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बुधवार, जुलाई 23, 2014

"सहने लायक ही दूरी दे" {चर्चामंच - 1683}

मित्रों!
बुधवार के चर्चाकार 
आदरणीय रविकर जी
अवकाश पर हैं।
इसलिए आजकी चर्चा में 
मेरी पसंद के कुछ लिंक देखिए।
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रसराज और रसरानी 

यह एक कहानी है।  
इसे पढ़ने के बाद   
किसी के साथ  जोड़िएगा।  
अगर किसी के साथ ऐसा घटित हुआ 
तो मात्र एक संयोग है। 
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बुढऊ खटिया पे बईठे हैं सुरती मले जा रहे हैं. मुसुकाते जा रहे।  बूढ़ा भी पास में बईठी हैं आज बुढऊ ने भंग कुछ ज्यादा ही चढ़ा रक्खी काहे से कि भोरहे भोरहे जब फेसबुकवा खोला तो एक तन्वंगी से चैटिया के बऊराये, तुरंत सिल बट्टा ले बूटी घोंट के चढ़ा गए...
PAWAN VIJAY
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नन्हे पौधे जो बड़े पेड़ बनेंगें :) 

आजकल मैं अपने  कैमरे से 
उन नन्हे पौधों को क्लिक कर रहा हूँ 
जो बड़े होकर पेड़ बनेंगें । 
साथ ही हैरान भी हूँ कि 
इतने बड़े पेड़ 
कभी इतने छोटे भी होते हैं...!
Chaitanyaa Sharma
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मुनिया 

छोटी सी मुनिया 
दिल मे डॉक्टर बनने का अरमान लिए , 
बार-बार स्कूल के दरवाजे जा खड़ी होती , 
डब-डबाई आँखों से 
बस बच्चों को पढ़ते हुए देखती 
और लौट आती 
पर पढ़ नहीं पाती....
Love पर Rewa tibrewal 
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रातो को तन्हाई में, 
अक्सर सोचा करते हैं 
क्या खास है पाया तुम में, 
तुम पर क्यों हम मरते हैं? 
सवाल ये हमने किया खुद से जब, 
एक बार न सौ बार किया 
जवाब कभी न आया...
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समय पर जब समय मिला
सागर मे भी गगन मिला
मुलाक़ात जब उनसे हुई
मानो बंजारे को घर मिला

खुशखबर जब यह सुना
उनके लिए ही गीत गुना
जिसको सर्च किया मैंने यहाँ वहाँ
वह तो मेरे ही करीब मिला

राजनीति पर जब यह कलम चली
काजनीति की लहर चली
गली मोहल्ले और चौराहे पर
मधुलेश की ही बात चली

कुछ सीखने की जब सीख मिली
नहीं किसी से भीख मिली
जब वह अकेले चले थे
तो नहीं यह भीड़ चली

बेशक कवियों की घनी आबादी है
पर लिखने की कहाँ पाबन्दी है
कभी-कभी तो चर्चा मंच पर भी
निल्को की भी लहर चली
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मधुलेश पाण्डेय निल्को
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बदलाव प्रकृति का नियम है … 
जीवन में हर चीज बदल रही है !
नाजुक चीजे कुछ ज्यादा ही,
प्रेम उतनाही नाजुक है 

जितना की गुलाब का फूल....
" भ्रष्टाचार का वायरस "
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कहती हूँ एक बात ज़रा सोच कर देखो 
ऐसी कोई  छड़ी नहीं जो मंहगाई हटाए 
ना  कोई  जादू  समस्या का निदान कर पाए
समय के साथ है सम्बन्ध उसका
धीमी गति है स्वभाव इसका
धैर्य है आवश्यक नियंत्रण के लिए
समग्र प्रयास ही  पहुंचेगा उस तक...
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दीवारों से कुछ बातें .... 

अच्छा है कभी कभी 
कर लेना दीवारों से कुछ बातें .... 
वह जैसी हैं वैसी ही रहती हैं 
बिल्कुल गंभीर शांत... 
Yashwant Yash 
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फूल, किताबें और एक तस्वीर... 

जाने कब तक तेरी तस्वीर निगाहों में रही
हो गई रात तेरे अक्स को तकते तकते
मैंने फिर तेरे तसव्वुर के किसी लम्हे में
तेरी तस्वीर पे लब रख दिये अहिस्ता से...  परवीन शाकिर  

फ़िरदौस ख़ान 

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चुहुल - ६५ 

....बात द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान की है. जर्मनी के एक मुर्गी फ़ार्म में अधिनायक हिटलर आया. मुर्गीबाड़े की तरफ देख कर जोर से बोला, कल से सभी पक्षी दो-दो अण्डे रोज देंगे.
अगले दिन सचमुच सभी मुर्गियों ने डर के मारे दो-दो अण्डे दे दिये, लेकिन एक पक्षी के पास केवल एक ही अंडा पड़ा था.  उससे जब हिटलर ने कारण पूछा तो वह बोला, "सर, मैं मुर्गा हूँ.”....
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय
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सहने लायक ही दूरी दे 

रात मुझे सिन्दूरी दे 
या मरने की मंजूरी दे 
पागल होकर मर ना जाऊँ 
सहने लायक ही दूरी दे... 
मनोरमा पर श्यामल सुमन
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लेट्स सेलिब्रेट "डेज" 

...पूरे शहर का चक्का जाम कर बीच सड़क लाखों लोगों संग यहाँ भी एक डे मना डाला गया। सुना पिछले इक्कीस वर्षों से "शहीद दिवस" के नाम पर यह चक्का जाम दिवस बड़े ही हर्षोल्लासपूर्वक भव्य रूप से मनाया जाता है...
संवेदना संसार पर रंजना -
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उलूक टाइम्स
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"ट"
"ट" से टहनी और टमाटर!
अंग्रेजी भाषा है टर-टर!
हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है,
सम्बोधन में होता आदर...

14 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    पर्याप्त लिंक्स आज के लिए |
    सुन्दर संयोजन |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार सर |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही खूबसूरत लिंक्स |आभार सहित

    जवाब देंहटाएं
  3. सुंदर चर्चा । 'उलूक' के सूत्र 'दुकानों की दुकान लिखने लिखाने की दुकान हो जाये' को जगह देने के लिये आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. beautiful Charchaa,
    so many links are looking good, aaj kaam thoda kam hai, to poore din k wyawasthaa ho gai.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति .....आभार!

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुरंगी चर्चा ! सम्यक सूत्र !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत अच्छे लिंक्स ..... चैतन्य को शामिल करने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही सुन्दर सूत्रों का संकलन किये हैं सर

    जवाब देंहटाएं

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