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शनिवार, अगस्त 02, 2014

कह रविकर कविराय, कृष्ण अब कहाँ आ रहे; चर्चा मंच 1693

रहे मौन धर्मज्ञ जब, देख पाप-दुष्कर्म |
बिना महाभारत छिड़े, कहाँ सुरक्षित धर्म |

कहाँ सुरक्षित धर्म, रखें गिरवी जब तन मन  |
दुर्जन करे कुकर्म,  सताए हरदिन जन गण ।

कह रविकर कविराय, कृष्ण अब कहाँ आ रहे । 
भीष्म कर्ण गुरु द्रोण, युद्ध तो किये जा रहे ॥ 


noreply@blogger.com (विष्णु बैरागी)
S.K. Jha
सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी


sushma 'आहुति' 



बरसते हुए सावन में- बदनाम शायर वरुण मित्तल

Devendra Gehlod 
 


आशीष भाई 




jyoti khare 




7 टिप्‍पणियां:

  1. चर्चा मंच पर शास्त्री जी आज अनुपस्थित हैं, सुंदर सूत्रों के लिए बधाई व आभार रविकर जी.

    जवाब देंहटाएं
  2. खूबसूरत लिंक संयोजन …………आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति .......आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छे सूूत्रों से सजी चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सार्थक और सुन्दर रचनाओं को संजोया है.....
    सभी रचनाकारों को बधाई ---
    सुन्दर संयोजन रवि भाई

    मुझे सम्मलित करने का आभार

    सादर ------

    जवाब देंहटाएं

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