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मंगलवार, नवंबर 04, 2014

रोज अन्यथा झेल, और भी बड़ा धमाका ; चर्चा मंच 1787




बड़ा धमाका पाक में, गया सैकड़ों मार । 
वैसा ही विस्फोट था, वैसा ही चित्कार । 

वैसा ही चित्कार, ठीक भारत में जैसे । 
वही लोथड़े खून, पड़े शव जैसे तैसे । 

सचमुच अगर शरीफ , पाक कर पाक इलाका । 
रोज अन्यथा झेल, और भी बड़ा धमाका॥ 

पाकिस्तान में धमाका



noreply@blogger.com (पुरुषोत्तम पाण्डेय) 




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Sushil Bakliwal 




shikha kaushik 




Vinay Prajapati (Nazar)




Virendra Kumar Sharma 




स्वप्न मञ्जूषा 



पूनम श्रीवास्तव 


12 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा संयोजन सूत्रों का |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर और संतुलित चर्चा।
    आपका आभार रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर सूत्र संयोजन रविकर जी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ....आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. Bahut sunder andaaz prastuti ka hamesha ki tarah abke baar bhi links lajawaab hai !!

    जवाब देंहटाएं
  7. बड़ा धमाका पाक में, गया सैकड़ों मार ।
    वैसा ही विस्फोट था, वैसा ही चित्कार ।

    वैसा ही चित्कार, ठीक भारत में जैसे ।
    वही लोथड़े खून, पड़े शव जैसे तैसे ।

    सचमुच अगर शरीफ , पाक कर पाक इलाका ।
    रोज अन्यथा झेल, और भी बड़ा धमाका॥

    सुन्दर सामयिक प्रस्तुति वही काटोगे जो बोवोगे।

    जवाब देंहटाएं
  8. ये नौकरीपेशा लोगों की दूर निर्वासन की पीड़ा सिर्फ इस अकेले की नहीं होगी. ऐसे बहुत से परिवार होंगे, जो ऐसी ही त्रासदी से जूझ रहे होंगे. यहाँ ‘टापू’ अपने नाम को पूर्णतया सार्थक कर रहा है.

    हमेशा की तरह बहुत सशक्त संस्मरण और भी सशक्त सन्देश से संसिक्त।

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  9. सशक्त सन्देश देता सुन्दर बिम्ब प्रधान गीत :

    मनके मनकों से होती है माला बड़ी
    तोड़ना मत कभी मोतियों की लड़ी

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  10. रोचक और सामयिक प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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