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सोमवार, दिसंबर 01, 2014

"ना रही बुलबुल, ना उसका तराना" (चर्चा-1814)

मित्रों।
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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सिसकियाँ सुलग रही 

पतंग सी उड़ती आकाश में 
पल में कटी धरा पे आन गिरी 
बंद कमरों में दीवारों से टकराती 
सिसकियाँ सुलग रही.. 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi
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तल्खी और तकल्लुफ 

जो आज दिखी असहमति नहीं अभिव्यक्ति मात्र है 
आज तक सारा नियंत्रण अभिव्यक्ति पर ही रहा 
असहमति विद्यमान तो थी सदा-सर्वदा ही 
पर रोकी जाती रही... 
Smart Indian 
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पुराने खत 

इस बार तो हद कर दी तुमने, 
अपने पुराने खत वापस मांग लिए, 
पर ऐसी कई चीज़ें हैं, 
जो न तुम मांग सकती हो, 
न मैं दे सकता हूँ... 
कविताएँ पर Onkar 
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भटकाव 

आख़िर मैं पहुँच ही गया 
जहाँ पर राह ख़त्म हो ज़ाती है 
यहाँ पर न शहर है न गाँव है 
आकाश का धरती की ओर 
बस कुछ झुकाव है... 
तात्पर्य पर कवि किशोर कुमार खोरेन्द्र 
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सँवारो जितना 

ये जुल्फ बिखर जाती हैं... 
उन्नयन  पर udaya veer singh 
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रिश्तों की परिभाषा ! 

स्वार्थ ने अपने को पराया कर दिया। 
बस एक रिश्ता आज भी जिन्दा है उसी तरह 
वो रिश्ता है दर्द का रिश्ता... 
hindigen पर रेखा श्रीवास्तव 
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"नमन शैतान करते है"

मधुर पर्यावरण जिसनेबनाया और निखारा है,
हमारा आवरण जिसनेसजाया और सँवारा है।
बहुत आभार है उसकाबहुत उपकार है उसका,
दिया माटी के पुतले कोउसी ने प्राण प्यारा है... 
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*इश्क़ इक खूबसूरत अहसास ....* 

तुमने ही तो कहा था 
मुहब्बत ज़िन्दगी होती है 
और मैंने ज़िन्दगी की तलाश में 
मुहब्बत के सारे फूल 
तेरे दरवाजे पर टाँक दिए थे... 
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नारी की सोच 
नारी की सोच
सागर- सी गहरी

फिर भी वो बेचारी... 
त्रिवेणी
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"खुलूस से कह राम और रहीम" 

अल्लाह निगह-ए-बान हैवो है बड़ा करीम।
जातिधरम से बाँध मतमौला को ऐ शमीम।।

बख्शी है हर बशर कोउसने इल्म की दौलत,
इन्सां को सँवारा हैदे शऊर की नेमत,
क्यों भाई  को भाई से जुदा कर रहा फईम।
जातिधरम से बाँध मतमौला को ऐ शमीम... 

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |
    उम्दा सूत्र |

    जवाब देंहटाएं
  2. बढ़िया लिंक्स...मेरी रचना शामिल करने के लिए दिल से शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद आपको.....मेरी रचना को यहाँ शामिल करने के लिए मैं तहे दिल से आभारी हूँ.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर - सार्थक एवं सटीक प्रस्तुति के लिये बधाई एवं मेरी रचना को स्थान देने के लिये मंच का हृदय से आभार !!!!

    जवाब देंहटाएं

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