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मंगलवार, दिसंबर 09, 2014

मैया गई बुढ़ाय, बड़े ने आँख तरेरी-; चर्चा मंच-1822


मेरी माँ की गोद में, भैया तू मत बैठ |
छूता ज्यों भैया बड़ा, छोटू जाता ऐंठ |

छोटू जाता ऐंठ, बड़ा भी उसे धकेले |
मेरी मेरी बोल, रोज ही करे झमेले | 

मैया गई बुढ़ाय, बड़े ने आँख तरेरी |
छोटा रहा नकार, रहा बक तेरी-मेरी || 


akanksha-asha.blog spot.com 


8 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    सूत्र और संयोजन दोनो ही उम्दा |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  2. रंग-बिरंगी और विविध आयामी सुन्दर चर्चा।
    --
    आपका आभार रविकर जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर संयोजन । आभारी है 'उलूक' रविकर जी सूत्र 'लिखे हुऐ को लिखे हुऐ से मिलाने से कुछ नहीं होता है' को स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर चर्चा सूत्र ...
    शुक्रिया मेरी रचना को आज की चर्चा में शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर चर्चा..मेरी कवि‍ता को शामि‍ल करने का शुक्रि‍या

    जवाब देंहटाएं

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