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शुक्रवार, मार्च 06, 2015

"होली है भइ होली है" { चर्चा अंक-1909 }

 मित्रों।
रंगों के महापर्व होली की 
आप सबको हार्दिक शुभकामनाएँ।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 


होली है भइ होली है। 

बुरा न मानो होली है 

और अगर जो बुरा ही मानो 

तो हमको क्‍या बस होली है। 

सा रा रा रा रा । 

जोगिरा सारा रा रा रा । 

होली है । 

सुबीर संवाद सेवापरपंकज सुबीर  

एक प्रयास पर vandana gupta 


ज्योति-कलशपरज्योति-कलश 



बरफी-लड्डू के चित्र देखकर, 

अपने मन को बहलाते हैं 

1806mawa248 
मधुमेह हुआ जबसे हमको, 
मिष्ठान नही हम खाते हैं।
बरफी-लड्डू के चित्र देखकर,
अपने मन को बहलाते हैं।।... 


गुड़िया गुझिया बना रही है,
दादी पूड़ी बेल रही है।
 

कभी-कभी पिचकारी लेकर,
रंगों से वह खेल रही है।।



तेरा मेरा भेद मिटा दें होली में 
ये दुनिया रंगीन बना दें होली में...
 
तिश्नगी पर आशीष नैथाऩी 

Active Life पर 
Sawai Singh Rajpurohit 



1-मुक्तक
रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
जला दें नफ़रतों का सब कारोबार होली में ।
आओ भूल जाएँ हम सभी तकरार होली में ॥
भूल हमने कीतुमने कीआओ भूल जाएँ हम ।
यह दो पल का जीवन हैकर लो प्यार होली में 
-0-
2-आई रे होली

कमला निखुर्पा
फागुन संग इतरा के आई है होली
सर र र र चुनरी लहराए  रे होली... 

yashoda agrawal 

"मेरे पौत्र का जन्मदिन-16वीं वर्षगाँठ" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

जन्मदिन पर आज कुछ उपहार दूँगा।
हृदय से निकले हुए उद्गार दूँगा।।

उन्नति की राह पर बढ़ते रहो तुम,
नित्य नवसोपान पर चढ़ते रहो तुम,
ज्ञानवर्धक पोथियाँ पढ़ते रहो तुम,
गर भटक जाओ कभी मझधार में,
पार करने को तुम्हें पतवार दूँगा।
 हृदय से निकले हुए उद्गार दूँगा।।

प्रभात 

५ मार्च को एक सौ पाँचवीं जयन्ती पर विशेष
{छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध कहानीकार और वरिष्ठ साहित्यकार 
श्री परदेशीराम वर्मा जी की किताब– 
अपने लोग के प्रथम संस्करण २००१ से साभार संकलित}
छत्तीसगढ़ के जनकवि :कोदूराम दलित
भुलाहू झन गा भइया
पिछड़े और दलित जन अक्सर अन्चीन्हे रह जाते हैं | 
क्षेत्र, अंचल, जाति और संस्कृति तक पर यह सूत्र लागू है | 
पिछड़े क्षेत्र के लोग अपना वाजिब हक नहीं माँग पाते | 
हक पाने में अक्षम थे इसीलिये पिछड़ गये और जब 
पिछड़ गये तो भला हक पाने की पात्रता ही कहाँ रही |
हमारा छत्तीसगढ़ भी एक ऐसा क्षेत्र है जिसे 
हक्कोहुकूक की समझ ही नहीं थी | 
परम श्रद्धालु, परोपकारी,मेहमान-नवाज, 
सेवाभावी यह छत्तीसगढ़ इसी सब सत्कर्मों के निर्वाह में 
मगन रह कर सब कुछ भूल जाता है | 
मैंने उन्हें प्रणाम किया यह भाव ही उसे संतोष देता है | 
जबकि प्रणाम करवाने में माहिर लोग उ
सकी स्थिति पर तरस ही खाते हैं | 
छत्तीसगढ़ी तो अपनी उपेक्षा पर 
जी भर रोने का अवकाश भी नहीं पाता | 
जागृत लोग ही अपनी उपेक्षा से बच्चन की तरह व्यथित होते हैं ....
‘मेरे पूजन आराधन को
मेरे सम्पूर्ण समर्पण को,
जब मेरी कमजोरी कहकर
मेरा पूजित पाषाण हँसा,
तब रोक न पाया मैं आँसू’

हमारे ऐसे परबुधिया अंचल के 
अत्यंत भावप्रवण कवि हैं स्वर्गीय कोदूराम दलित | 
५ मार्च १९१० को दुर्ग जिले के टिकरी गाँव में जन्मे 
स्व.कोदूराम दलित का निधन २८ सितम्बर १९६७ को हुआ | 
ये गाँव की विशेषता लेकर शहर आये | 
यहाँ उन्होंने शिक्षक का कार्य किया | 
अपने परिचय में वे कहते हैं....                    
                         ‘लइका पढ़ई के सुघर, करत हववं मैं काम,
कोदूराम दलित हवय, मोर गवंइहा नाम |
मोर गवंइहा नाम, भुलाहू झन गा भइया
जन हित खातिर गढ़े हववं मैं ये कुण्डलिया,
शउक मुहू ला घलो हवय कविता गढ़ई के
करथवं काम दुरूग मा मैं लइका पढ़ई के’ |... 


मेरा फोटो
कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे 


उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी 

बुरा न मानो होली है 
[लघु कथा ] 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi

फागुन मुस्‍काराता है 
जब गुलाल उँगली और अॅंगूठे को छोड़ 
हथेली में जाने को मचलता है 
रंगीला सावन मनभावन हो 
हर चेहरे को रंगता है 
रंगों की फुहार में 
भीग जाती है अनबन भी 
तो बोल उठती है 
होली मुबारक! ...

एक परिवार अपना सा 

अपना घर पर अर्चना चावजी  

दम लगा के हईशा 

तुमसे मिले दिल में उठा दर्द करारा 

परवाज़.. पर kanu.....  

काव्य-शिक्षा 

[आशु कविता – 4] 

॥ दर्शन-प्राशन ॥ पर प्रतुल वशिष्ठ  

Nitish Tiwary -

होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ 

Surendra Singh bhamboo - 
  
अहले सुबह सोकर उठा ही था 
कि मोबाईल की घंटी बजनी शुरू हो गई. 
फोन उठाया ही था कि मेरी आवाज सुने बिना ही उधर से आवाज आने लगी, 
’मी कांता बाई आहे... 
देहात पर राजीव कुमार झा

दिन में खिले खिले ख्याल 
शाम होते ही मुरझा जाते हैं... 
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash 

यूं ही अनवरत .....!! 

15 वर्ष यकीनन बहुत लंबा समय होता है ... 
किन्तु सब कुछ आज भी याद है ...स्पष्ट ...!! 
माँ की याद में ...आज उनकी पुण्यतिथि पर , 
उनके लिए लिखे कुछ भाव ...!! 
मेरे पास आज भी तुम्हारे दिये हुए 
देखो वही शब्द हैं माँ वही भाव हैं ... 
जिन्हें तुम सर्दी में सहेजती थीं 
धूप दिखाकर ... 
Anupama Tripathi  

12 टिप्‍पणियां:

  1. चर्चा मंच पर मेरी पोस्ट लिंक करने के लिए आपका आभार.
    होली की हार्दिक शुभकामना.
    iwillrocknow.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी मित्रों व सुहृद पाठकों को होली की हार्दिक मंगलकामनाएं ! रंग बिरंगे सूत्रों के साथ बहुत ही सुन्दर होलीमय चर्चा ! आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. sundar charcha......
    Rango ke is tyohar ki apako apke parivar sahit dher sari shubhkamnayen.

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर होली चर्चा । आभार 'उलूक' का सूत्र ' रंग बहुत हो गये इधर उधर रहने दे .....' को जगह देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  5. रंग-बिरंगे सूत्रों से सजी आज की चर्चा.
    'देहात' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  6. होली पर हार्दिक शुभ कामनाएं समस्त च्र्चामंच परिवार को |
    अधिकाँश सूत्र होली के रंगों में डूबे |

    जवाब देंहटाएं
  7. होली की हार्दिक शुभ कामनाएं................साभार!

    जवाब देंहटाएं
  8. सबको होली की हार्दिक शुभकामनाएं
    चर्चा मंच पर मेरी पोस्ट लिंक करने के लिए आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बहुत धन्यवाद सर!
    होली की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  10. pyaar bhara namaskaar un sabko !! jo mujhse bhi pyaar karte hain ! aabhaar bhara dhanywaad unko jo ! meri bhi rachna shaamil karte hain !or saadar namaskaar unko jo apne anmol commenrs mere blog par jaakar likhte hain ji !1

    जवाब देंहटाएं

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