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बुधवार, मार्च 18, 2015

"मायूसियाँ इन्सान को रहने नहीं देती" (चर्चा अंक - 1921)

मित्रों!
आदरणीय रविकर जी 
एक माह के राँची प्रवास पर हैं।
इसलिए बुधवार की चर्चा में 
देकिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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ये कोहराम आम नहीं है 

अभिनव रचना  पर ममता त्रिपाठी 
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उनका असलहा होगा ! 

किसी ने कुछ सुना होगा 
किसी ने कुछ कहा होगा 
ख़बर यूं ही नहीं बनती, 
कहीं कुछ तो रहा होगा... 
Suresh Swapnil 
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छबि तेरी 

Akanksha पर Asha Saxena 
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दिल 

Akanksha पर Asha Saxena 
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विवशता का शाप 

उग रहा अकेलापन साँझ के सिवाने । 
सन्नाटा बुन डाला ऊबती हवा ने... 
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क्या भारत आज भी गुलाम है 

दोस्तों, जरा सोचिये  एक लुटेरा आपके घर में आये  आपकी बहु, बहन, बेटियों का बलात्कार करे आपके बेटों, भाइयों, पिता का क़त्ल करे आपके घर परिवार के लोगों को ग़ुलाम बनाये आपकी संपत्ति लुट कर अपने घर ले जाये  आपके घर में ज़बरदस्ती लम्बे समय तक रहे  फिर एक दिन वो आपको आपके घर की चाबी देकर अपने घर चला जाये  अब उसके जाने के बाद आप क्या ऐसा करोगे... 
नवनीत सिंघल 
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सुना है मैंने ! 

सुना है मैं ने रब है कण कण में 
बोलने की जरुरत नहीं जान लेते है सब 
कुछ जो है तुम्हारे मन में l 
गर फूस फुसकर कहोगे 
फिर भी उनके श्रव्य से बच नहीं पायोगे l 
अगर यही सच है, 
तो यह विरोधाभास क्यों है... 
कालीपद "प्रसाद" 
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कुछ लोग -12 

घमंड में चूर कुछ लोग पाए जाते हैं 
मीठी मीठी बातों के संग 
मन के भीतर कड़वाहट के तीखे बोल लिए 
जो जुबान से नहीं 
चेहरे के हावभाव से 
महसूस हो ही जाते हैं 
सामने वाले को दिखला ही देते हैं 
मुखौटों के पीछे का असली चेहरा... 
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash 
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अब तुम आओगे 

Swaying Hearts पर 
Rajshree Sharma 
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एक पगली लड़की 

एक लड़की मैंने देखी है
जो दुनिया से अनदेखी है
दुनिया उससे अनजानी है
मेरी जानी-पहचानी है।
रहती है एक स्टेशन पर
कुछ फटे-पुराने कपड़ों में
कहते हैं सब वो ज़िंदा है
बिखरे-बिखरे से टुकड़ों में।...
वंदे मातरम् पर abhishek shukla 
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"छन्दशास्त्र-चौपाई लिखना सीखिए" 

चौपाई सम मात्रिक छन्द है जिसमें 16-16 मात्राएँ होती है।
   अब प्रश्न यह उठता है कि चौपाई के साथ-साथ “अरिल्ल” और “पद्धरि” में भी 16-16 ही मात्राएँ होती हैं फिर इनका नामकरण अलग से क्यों किया गया है?
     इसका उत्तर भी पिंगल शास्त्र ने दिया है- जिसके अनुसार आठ गण और लघु-गुरू ही यह भेद करते हैं कि छंद चौपाई हैअरिल् है या पद्धरि है।
  लेख अधिक लम्बा न हो जाए इसलिए “अरिल्ल” और “पद्धरि” के बारे में फिर कभी चर्चा करेंगे।
लेकिन गणों को थोड़ा जरूर देख लीजिए... 

12 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    उम्दा लिंक्स पढ़ने के लिए |
    मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार |

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर सूत्र संयोजन । सुंदर चर्चा ।

    जवाब देंहटाएं
  3. dhanywaad aapka ! meri rachna shamil karne hetu ! charchaa main kayi lekh bade hi sundar ban pade hain ! saargarbhit bhi hain ! shubhkaamnayen !

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति में मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर चर्चा ....
    कृपया मेरे चिट्ठे पर भी पधारे और अपने विचार व्यक्त करें.

    http://hindikavitamanch.blogspot.in/
    http://kahaniyadilse.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर चर्चा ..............मेरी रचना के लिंक http://prabhatshare.blogspot.in/ को शामिल करने के लिए धन्यवाद! साभार

    जवाब देंहटाएं
  7. I am really thankful to you.... Thanks for considering my blog, its overwhelming that a great writer like you is supporting such a immature writer like me....
    Regards,
    Rajshree
    http://swayheart.blogspot.in/2015/03/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर चर्चा . मेरी पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुंदर और उत्‍तम चर्चा।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
    http://savanxxx.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  11. साहित्य का सौंदर्य यहाँ इस ब्लॉग में दिख रहा है |रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद् |

    जवाब देंहटाएं

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