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रविवार, अप्रैल 05, 2015

"प्रकृति के रंग-मनुहार वाले दिन" { चर्चा - 1938 }

मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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"बलशाली-हनुमान" 

धीर-वीर, रक्षक प्रबल, बलशाली-हनुमान।
जिनके हृदय-अलिन्द में, रचे-बसे श्रीराम.. 
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यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा 
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सीखी कहाँ से नवाबजूं ऐसी देनी देन ? 

ज्यों- ज्यों कर ऊंचे चढ़ें ,त्यों त्यों नीचे नैन 

 देनहार कोई और है ,जो देता दिन रेन
लोग भरम मो पे करें ,ताते नीचे नैन।... 
Virendra Kumar Sharma
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सबसे ख़तरनाक / पाश 

मेहनत की लूट सबसे ख़तरनाक नहीं होती पुलिस की मार सबसे ख़तरनाक नहीं होती ग़द्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे ख़तरनाक नहीं होती बैठे-बिठाए पकड़े जाना बुरा तो है सहमी-सी चुप में जकड़े जाना बुरा तो है सबसे ख़तरनाक नहीं होता कपट के शोर में सही होते हुए भी दब जाना बुरा तो है जुगनुओं की लौ में पढ़ना मुट्ठियां भींचकर बस वक्‍़त निकाल लेना बुरा तो है सबसे ख़तरनाक नहीं होता सबसे ख़तरनाक होता है... 
कविता मंच पर kuldeep thakur 
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प्रभा

उम्र के साठ बसन्त, पतझड और सावन देखने के बाद, आज दिल में अचानक जिन्दगी जीने की ख्वाइश पता नही कहाँ से जाग उठी। ये खवाइश तो दिल में तब भी नही उठी जब हाथों में मेंहदी रचाये, पायलों के मधुर संगीत के साथ आँखों में सतरंगी सपने लिये नव जीवन में प्रवेश किया था। जीवन जीने की ख्वाइश होती है ये सोचने का भी वक्त कहाँ मिल सकता था, विवाह बंधन में बंधते ही तीन बच्चों की जिम्मेदारी की कुंजी पाने वाली नववधू को। मिला था एक कठिन लक्ष्य, पत्नी बनाने के सौभाग्य के साथ मिला था सौतेली माँ का कलंक। जिसे मैं अपनी ममता और समर्पण से दिन रात धुल रही थी । मुझे एक ऐसी तलवार की धार पर जीवन मिला था कि चाहे कुछ भी करती, मेरा छलनी होना निश्चित था।... 

11 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर रविवारीय अंक । आभारी है 'उलूक' सूत्र 'कोई समझे कोई ना समझे कह देना जरूरी होता है' को आज की चर्चा में जगह मिली ।

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  2. बहुत सुंदर रविवारीय चर्चा.
    'यूँ ही कभी' से मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  3. भक्तिपूर्ण चर्चा ,बहुत बढियाँ

    जवाब देंहटाएं
  4. जब आरम्भ महाप्रभु की स्तुति से हो तो चर्चा का अद्वितीय होना स्वाभाविक है, अद्भूत आनंद आया।
    मेरे आलेख को स्थान देने के लिए आभार सर!
    शुभ संध्या।

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  5. chuninda links se saji hui charcha .mere blog ko yahan sthan pradan karne hetu aabhar .

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  6. कल नेट के खराबी के चलते दूर रही ...
    सुन्दर चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट शामिल करने हेतु आभार!

    जवाब देंहटाएं

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