फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

रविवार, अप्रैल 12, 2015

"झिलमिल करतीं सूर्य रश्मियाँ.." {चर्चा - 1945}

मित्रों।
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के निम्न अद्यतन लिंक।
--

सूर्योदय से सूर्यास्त तक 

बालारुण ने खोल दीं मुँदी आँखें भोर हो गयी ! 
चूम के माथा सूरज की किरणें प्रात जगातीं ! 
उदित हुआ सुदूर क्षितिज में बाल भास्कर 
जागी सम्पूर्ण सृष्टि मुदित हुई धरा ! 
आँगन मेरे झिलमिल करतीं सूर्य रश्मियाँ... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
--

दोहागीत 

"समय पड़े पर गधे को बाप बनाते लोग" 

व्यर्थ न समय गवाँइएइससे मुँह मत फेर।
मिट्टी को कंचन करेनहीं लगाता देर।।

समय पड़े पर गधे को, बाप बनाते लोग।
समय बनाता सब जगह, कुछ संयोग-वियोग।।
समय न करता है दयाजब अपनी पर आय।
ज्ञानी-ध्यानी-बली कोदेता धूल चटाय।।
समय अगर अनुकूल है, कायर लगते शेर।
मिट्टी को कंचन करेनहीं लगाता देर... 
--
--
--

इस सदी की निहायत अश्लील कविता 

चण्डीदत्त शुक्ल 
जरूरी नहीं है कि,
आप पढ़ें
इस सदी कीयह निहायत अश्लील कविता
और एकदम संस्कारित होते हुए भी,देने को विवश हो जाएं हजारों-हजार गालियां।
आपजो कभी भी रंगे हाथ धरे नहीं गए,वेश्यालयों से दबे पांव

मुंह छिपाए हुए निकलते समय,तब क्यों जरूरी है कि आप पढ़ें अश्लील रचना?... 
Voice of Silence पर Brijesh Neeraj 
--

प्रेम तुम जीत हो.... 

प्रेम तुम जीत हो 
लेकिन हारा है हर कोई 
तुम्हें पाने की चाहत में...  
फिर मैं क्यों कर जीत पाती ... 
नयी उड़ान + पर Upasna Siag 
--
'वेरा उन सपनों की कथा कहो' का चौथा संस्करण पलटते हुए मैं सोच रही हूं कि कविता के सुधी पाठकों का संसार शायद इतना भी सीमित नहीं. मार्च 1996 में यह संग्रह पहली बार प्रकाशित हुआ था। इस संग्रह से कोई रोशनी सी फूटती नजर आ रही थी। इसकी कविताएं महज शब्द नहीं, एक पूरा संसार हैं स्त्री मन का संसार... 

Pratibha Katiyar 
--

मैं और मेरे खटमल मित्र 

मैं और मेरे खटमल मित्र, हमेशा साथ मे रहते है| 
जब मैं घर पर होता हू, तो सुख दुख की बाते करते है|| 
मेरे खटमल मित्र, मुझसे बहुत प्यार करते है। 
और मेरे साथ मजे से, मेरी खोली मे ही रहते है... 
हिन्दी कविता मंच पर ऋषभ शुक्ला 
--

उन्मुक्त परिंदे 

यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा 
--

धरती-पुत्र किसान हमारे 

धरती-पुत्र किसान हमारे जीवन अपना हार चुके हैं 
उनकी दशा हुई भयावह मौतों को स्वीकार चुके है . 
सूखे अकाल व बेरोजगारी सपनों को ही तोड़ चुके हैं 
भारत की जो रीढ़ कृषि थी आज वही दम तोड़ चुके हैं... 
--

जननी को कौन याद करता 

सागर में सीपी असंख्य
असंभव सब को एकत्र करना
फिर भी अपेक्षा रहती
मोती वाली सीपी की |
मोती तरह तरह के
छोटे बड़े सुडौल बेडौल
उन्हें तराशती नज़र पारखी
आभा तभी निखरती... 
Akanksha पर Asha Saxena 
--

कौन जाने किस ठौर...! 

कुछ कदम साथ चले...

फिर चल दे कहीं और,
कौन जाने किस ठौर... 
अनुशील पर अनुपमा पाठक 
--
--

आता माझी सटकली 

उलूक टाइम्स पर सुशील कुमार जोशी 
--
--
--

मौसम क़ातिल... 

दर्द के पीछे दिल भी है यह मस्ला मुश्किल भी है 
कुछ हम ही दीवाने हैं कुछ मौसम क़ातिल भी है... 
साझा आसमान पर Suresh Swapnil 
--
निवेदिता मिश्र झा की कविताएं। 

वृक्ष
तुम
पहचानते हो
बेला,जूही,कचनार
या सखुए की डाली
देवदार,चीड़ तो दूर की बात…।
चलो नेट में ढूंढते हैं
गूगल सही बताता है बात।
ये है तुम्हारा या मेरा हाल
निहारते हम दूर आकाश
तरसती दरार पड़ी धरती
रिसता रहा मन… 
क्रिएटिव कोना
--
भूली बिसरी यादें 

कुछ बाकी है …  
बातें तो बहुत सारी होती हैं कहने को 
पर कुछ बातें ऐसी होती हैं 
जो जेहन से नहीं निकलती, 
ऐसे ही एक बात है 
जो मैं सबसे शेयर करना चाहती हूँ... 
बात एक अनकही सी 
--
--
नारी मुक्ति मोर्चा माने या न माने .. 
लेकिन अपनी गरिमा को गिराने में 
इन लड़कियों का हाथ भी 
कुछ काम नहीं... 
mridula's blog 

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात
    संकलन सूत्रों का यथेष्ट आज के लिए |
    मेरी रचना शामिल की धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सूत्र संजोये हैं आज शास्त्री जी ! मेरी प्रस्तुति को इनमें सम्मिलित करने के लिये आपका आभार एवं धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुंदर रविवारीय चर्चा.
    मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर सूत्र संकलन और संयोजन । 'उलूक' का आभार सूत्र 'आता माझी सटकली' को भी स्थान देने के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  5. bahoot sundar links, sundar charcha.
    मेरी रचना "मैं और मेरे खटमल मित्र " को चर्चा मे स्थान देने के लिए। बहुत-बहुत शुुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
    शुभकामनाएँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत बढ़िया चर्चा प्रस्तुति ...आभार!

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर और रोचक सूत्र संकलन...आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. इस मनमोहक चर्चा में मेरी रचना को शामिल करने के देरों धन्यवाद सर

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।