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बुधवार, अप्रैल 29, 2015

“शब्द गठरिया बाँध" छन्द संग्रह का विमोचन इलाहाबाद में....चर्चा मंच 1960



पुरुषोत्तम पाण्डेय 



डॉ. अपर्णा त्रिपाठी 

गीत "धूप में घर सब बनाना जानते हैं" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

वेदना के "रूप" को पहचानते हैं। 
धूप में घर सब बनाना जानते हैं।।

भावनाओं पर कड़ा पहरा रहा, 
दुःख से नाता बड़ा गहरा रहा, 
मीत इनको ज़िन्दग़ी का मानते हैं। 
धूप में घर सब बनाना जानते हैं... 

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