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शनिवार, जून 06, 2015

"विश्व पर्यावरण दिवस" (चर्चा अंक-1998)

मित्रों।
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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दोहे "विश्व पर्यावरण दिवस" 

एक साल में एक दिन, होती जय-जयकार।
पर्यावरण दिवस कहाँ, होगा फिर साकार।१।
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कंकरीट जबसे बना,  जीवन का आधार।
तबसे पर्यावरण की, हुई करारी हार।२...
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पर्यावरण 

आज पर्यावरण दिवस है कुछ विचार बांटना  चाहूंगी :-
swasthya paryavaran के लिए चित्र परिणाम
सही समय पर सही कार्य
शक्ति देता प्रकृति को 
जल संचय वृक्षारोपण
 हराभरा रखता धरती को
मिट्टी पानी जल वायु 
मुख्य अंग पर्यावरण के... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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नदी की व्यथा 

(पर्यावरण दिवस पर एक पुरानी रचना) 
शहर की बेचैन भीड़ में 
गुम हो गयी है वो नदी 
जो सदियों से बहती थी... 
शीराज़ा  पर हिमकर श्याम 
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Today, Im Sad. 

जीवन यूं ही बिता देने के लिये नहीं है- झेन भिक्षु—अपना प्रत्येक दिन स्वम अपने-आप से,जोर-जोर से यह कहते हुए ही शुरू करता था---’मास्टर,क्या तुम हो वहां?’ और स्वम ही उसका उत्तर भी दे देता था---’जी हां,श्रीमान मैं यहीं ही हूं... 
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165 : मुक्त-ग़ज़ल - 

ज़िंदगी तेरे बिना भी... 

ज़िंदगी तेरे बिना भी जान चलती ही रही ॥ 
हाँ कमी बेशक़ तेरी हर आन खलती ही रही... 
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हाय, यह समझ !! 

Sunehra Ehsaas पर Nivedita Dinkar 
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मनमोहन ये क्या किया था आपने ?? 

नई दिल्ली:- कोल ब्लॉक आवंटन मामले में आरोपों का सामना कर रहे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर सिख दंगा मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को क्लीन चिट दिलाने का आरोप भी लगाया जा रहा है। आर्म्स डीलर अभिषेक वर्मा ने सीबीआइ के समक्ष दिए गए बयान में कहा है कि वर्ष 2008 में जगदीश टाइटलर ने उसे बताया था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने के बाद ही उसे 1984 के सिख दंगा मामले में क्लीन चिट मिली थी। इसके साथ ही राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी चल पड़ा है। भारतीय जनता पार्टी ने वर्मा के आरोप की जांच कराए जाने की मांग कर दी है... 
AAWAZपरSACCHAI 
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उपासना: रूद्र महानारायण -१ 

रूद्र महानारायण 
(रूद्राष्टक का हिन्दी अनुवाद) 
रमेशकुमार सिंह चौहान 
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 हरियाली 

जब आता है सावन और चलती है पुरवाई, 
ऐसे मेघ बरसते जैसे हरियाली आयी... 
हिन्दी कविता मंच पर ऋषभ शुक्ला 
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अपने बृहद बाहुओं में भरकर 
जग का पीर अलमस्त , अल्हड , 
उच्श्रृंखल कलकल निनाद ,
धीर - अधीर अलकनंदा तुम बहती जाना... 
काव्य वाटिका पर Kavita Vikas 
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कैसे रहे हरी भरी धरती ? 

कंक्रीट के जंगलों में 
रहते रहते जीते जीते 
हो चुके हैं हम भी कंक्रीट जैसे 
कठोर निष्ठुर बेजान और बुजदिल ... 
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash 
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बंदा वैरागी 

 अपने तपे – तपाये जीवन
सधे – सधाए सुन्दर ये मन
कर दो जन समुदाय को अर्पण
नीलकंठ सा करो विष –शमन
भटक रही मनु की संतान
अंधकार में है उसकी ज्ञान ‘’... 
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सभी धर्मों में गॉड, खुदा, ईश्वर आदि को पुल्लिंग ही संबोधित किया जाता है लेकिन वास्तव में वह पुल्लिंग है या स्त्रीलिंग, इसका कोई अंतिम निर्णय आज तक नहीं हुआ है | हो सकता है उस समय भी भ्रूण के लिंग परीक्षण पर प्रतिबन्ध रहा हो | अब इंग्लैण्ड में कैंटरबरी के आर्क बिशप के घर हुई बैठक में महिला पादरियों ने यह मुद्दा बड़ी सिद्दत से उठाया है कि गॉड को 'ही' ही क्यों लिखा जाए 'शी' क्यों नहीं ? एक सुझाव यह भी था कि एक बार 'ही' और एक बार 'शी' लिखा जाए |
कन्फ्यूज्ड तो हम भी हैं... 
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चढ़ने के लिये 
जरूरी हैं
देश विदेश के 
पर्वतारोहियों
के लिये एक 
मजबूरी
कभी नहीं 
हुवे पहाड़... 

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