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रविवार, दिसंबर 20, 2015

"जीवन घट रीत चला" (चर्चा अंक-2196)

मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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 जीवन घट रीत चला 

पल पल कर बीत चला, 
जीवन घट रीत चला। 
बचपन था कब आया, 
जाने कब बीत गया। 
औरों की चिंता में 
यौवन रस सूख गया... 
Kailash Sharma 
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गीत "नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे"


नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे!
गधे चबाते हैं काजू,
महँगाई खाते बेचारे!!
काँपे माता काँपे बिटिया, भरपेट न जिनको भोजन है,
क्या सरोकार उनको इससे, क्या नूतन और पुरातन है,
सर्दी में फटे वसन फटे सारे!
नव-वर्ष खड़ा द्वारे-द्वारे... 
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व्यस्त 

मैं बहुत व्यस्त हूँ, 
ज़िन्दगी भर रहा, 
न औरों के लिए, न अपनों के लिए, 
यहाँ तक कि ख़ुद के लिए भी 
वक़्त ही नहीं मिला... 
कविताएँ पर Onkar 
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क्या बोले मन 

क्या बोले मन
दिल का दर्द उभरकर
पलकों पर घिर आया
क्यूं बोले मन... 
यूं ही कभी पर राजीव कुमार झा 
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बाजार भाव से अधिक देकर पति खरीदा... 

... शादी का समय आया तब जैसे उनके भाग्य ही खुल गए। उनके गाँव में मिनिस्टर से लेकर आईएएस तक, कौन नहीं आया! गाँव की तरफ कोई भी बड़ी गाड़ी आती तो लोगबाग कहने लगते " महात्मा जी के किस्मत तो चरचराल है मर्दे। एक से एक बर्तुहार दुआरी लगो है। ऐसन किस्मत तो टेकरी महराज के ही होतई... 
चौथाखंभा पर ARUN SATHI 
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आस का दीप 

आस का दीप दिन चाहे ढल गया है 
पर विश्वास बाक़ी है 
आस का दीप मत बुझा 
अभी कुछ उम्मीद बाक़ी है... 
कुछ मेरी कलम से  पर ranjana bhatia 
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कुण्डलिया छंद 

अम्बे तेरी वंदना, करता हूँ दिन-रात 
मिल जाए मुझको जगह, चरणों में हे मात... 
Voice of Silence पर Brijesh Neeraj 
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ससुराल एक इम्तहान 

ससुराल एक इम्तहान है 
जिससे सबको गुजरना है 
हर लड़की या लड़के का ससुराल होता है, 
सास हिटलर के समान होती है 
ससुर हर घाव पर मरहम लगाते है 
ननद तो घर की रानी होती है... 
aashaye पर garima 
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मटर 

ठण्ड के आगमन के साथ 
मटर सबके घरों मे ख़ुशी ख़ुशी आई, 
सारी गृहणियाँ को ये बहुत सुहाई 
अब घण्टो की सोच हुई कम 
जबसे मटर रानी बोली आ गए हम... 
प्यार पर Rewa tibrewal 
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न बाजी जीती 
न है वो राव 
वह तो है देखो 
शाहरूख खान 

कह रहा है 
चिल्‍ला रहा है 
अखबारों की सुर्खियां 
बना हुआ है 
शाहरूख पागल हो गया है ... 

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आेस की…
बूँद सी होती है बेटियाँ।
घर की रौनक़ है बेटियाँ॥
माँ-बाप को दुखी देख रोती है बेटियाँ।
घर आँगन महकता है बेटियों से॥... 
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ब्लॉग कमेंट करने के फ़ायदे
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संगोष्ठी में
निमंत्रित
किये गये
ईश्वर गौड
और अल्ला।
क्रिसमस की
पूर्व संध्या थी
होना ही
था हल्ला... 
उलूक टाइम्स
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 मेरे बचपन के वो सुनहरे  पल... 

हर बार जब आती है सर्दी 
गिरती है बरफ 
होती है रात 
मुझे याद आता है 
वो एक एक पल 
कडाके की ठंड में 
जब हम सब 
आग के सामने बैठकर 
बुजुर्ग और बच्चे सुनते 
और सुनाते थे कहानियां...  
मन का मंथन  पर kuldeep thakur 
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