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शनिवार, दिसंबर 26, 2015

"मीर जाफ़र की तलवार" (चर्चा अंक-2202)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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दोहे 

"कौन सुने फरियाद"

कीर्ति भुलाकर कर दिया, अलग-थलग आजाद।
दल-दल के इस खेल में, कौन सुने फरियाद।।
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सिर्फ नाम का निलम्बन, मंशा है कुछ और।
सभी सयाने कह रहे, फँसा गले में कौर।।
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कहीं निशाना था मगर, लगा किसी की ओर।
उस पर गिरती गाज है, जो होता कमजोर... 
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क्रिसमस कहमुकरी 

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मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु 
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कैलेंडर के हर दिन का हिसाब लिख दूँ... 

ये साल जा रहा है....  
क्यों ना तुम्हारी मुस्कराटे लिख दूँ, 
तीन सौ पैसठ दिन की, 
सारी शिकायते लिख दूँ....  
'आहुति' पर Sushma Verma 
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देव दूत 

उन्नयन   पर udaya veer singh 
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पापी कौन है? 

भगवान् यीशु एक प्रसंग है कि कुँवारी गर्भवती युवती को पापिन होने की सजा देते हुए समाज के लोग बीच चौराहे पे पत्थर मारने की सजा देते है । इसी बीच यीशु आते है और कहते है कि पहला पत्थर वही मारे जिसने कोई पाप न किया हो। यह सुन पहला पत्थर किसी ने नहीं मारा... 
चौथाखंभा पर ARUN SATHI 
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अभी प्रधानमन्त्री नरेंद्र दामोदर मोदी ..... 

पाकिस्तान केक खाने गएँ हैं 

लकड़ी जल कोयला भई , कोयला जल भई राख , 
मैं बैरन ऐसी जली , कोयला भई न राख। 
उक्त पंक्तियाँ भारत के विपक्ष पर खरी उतरती हैं... 
Virendra Kumar Sharma 
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