फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, मार्च 08, 2016

"शिव की लीला अपरम्पार" (चर्चा अंक-2275)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

--
--

"शिव की लीला अपरम्पार"

lord-shiva-35s
शिव-आशीषों की सौगात,
लेकर आयी है शिवरात,
बोलो हर-हरबम-बम..!
बोलो हर-हरबम-बम..!!

शंकर जी की आई याद,
बम भोले के गूँजे नाद,
बोलो हर-हरबम-बम..!
बोलो हर-हरबम-बम... 
--
--

चप्पलें 

Vijay Kumar Shrotryia 
--

कुछ बिखरी पंखुड़ियां.....!!! 

भाग-25 

कोई सफ़र तुम्हारे बगैर 
अब मुमकिन नही...  
ये और बात है कि 
किसी सफ़र पर 
तुम मेरे साथ नही.. 
'आहुति' पर Sushma Verma 
--
--
--

नसीब में है क्या लिखा हुआ... 

अब्दुल हमीद 'अदम' 

आता है कौन दर्द के मारों के शहर में 
रहते हैं लोग चांद सितारों के शहर में 
मिलता तो है ख़ुशी की हकीकत का कुछ सुराग 
लेकिन नज़र फ़रेब इशारों के शहर में... 
मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal  
--

बाजारवाद ही सही.... 

क्योंकि हमारे यहाँ प्यार दिखावे की कोई चीज़ नहीं है. नफरत दिखाई जा सकती है, उसका इजहार जिस तरह भी हो, किया जा सकता है. गाली देकर, अपमान करके या फिर जूतम पैजार से भी. परन्तु प्यार का इजहार नहीं किया जा सकता. उसे दिखाने के सभी तरीके या तो बाजारवाद में शामिल माने जाते हैं या फिर पश्चिमी संस्कृति का दिखावा. कहने को हम पश्चिमी देशों में मनाये जाने वाले यह ... मदर्स डे. फादर्स डे, लव डे आदि आदि नहीं मनाते. क्योंकि हम बहुत मातृ- पितृ भक्त हैं किसी एक दिन की हमें जरुरत नहीं... 
shikha varshney 
--

हे भूतनाथ हे कैलाशी 

रुक से गए हैं वक्त के धारे 
संकट क्यों बन जाते सारे 
कष्ट-पीड़ा तो संग में चलती 
तकलीफें हर-पल ही बनती 
विकलतायें उर में बस जाती 
विफलतायें प्रारब्ध बन जाती ... 
--

[महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें ] 

शायद मेरी आयु पूर्ण हो गई  

[पूर्व प्रकाशित रचना ] 

देहरादून की सुंदर घाटी में स्थित 
प्राचीन टपकेश्वर मन्दिर , 
शांत वातावरण और उस पावन स्थल के पीछे 
कल कल बहती अविरल पवित्र जल धारा, 
भगवान आशुतोष के इस निवास स्थल पर 
दूर दूर से ,आस्था और विशवास लिए , 
पूजा अर्चना करने हजारो लाखों श्रदालु 
हर रोज़ अपना शीश उस परमेश्वर के आगे झुकाते है 
और मै इस पवित्र स्थान के द्वार पर 
सदियों से मूक खड़ा 
हर आने जाने वाले की 
श्रद्धा को नमन कर रहा हूँ... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi  
--

मिजाज़पुर्सी 

अस्पताल के बिस्तर पर अर्धमूर्छित अवस्था में पड़ी माँ को मैं किसी तरह संतरे का जूस फीडर से पिलाने की कोशिश कर रही थी कि दरवाज़े पर किसीने दस्तक दी ! फीडर मेज़ पर रख दरवाजा खोला तो मेरे कॉलेज की सहयोगी सरिता एकदम मेरे गले से लिपट गयी ... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
--

जय महाकाल 

Akanksha पर Asha Saxena 
--

एक सवाल 'पप्पू' से ,,! 

कश्मीर का मुद्दा उलझाया परनाना की 'ना' ने ही था,
लाहौर को लौटाया भी तो तेरी दादी की 'हां 'ने ही था,
यार पप्पू,किसे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा,
अफजल को लटकाया भी तेरी अपनी 'मां 'ने ही था। 
अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल "परचेत" 
--
--
--

बंदगी का गुनाह... 

आज बिछड़े ख़याल घर आए 
अनगिनत ज़र्द ख़्वाब बर आए... 
साझा आसमान पर Suresh Swapnil 
--
--
--

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।