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रविवार, मार्च 13, 2016

"लोग मासूम कलियाँ मसलने लगे" (चर्चा अंक-2280)

मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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जरूरत है... 

भारत को आज फिर से श्री राम की जरूरत है, 
अर्जुन धर्म संकट में है, श्री गीता की जरूरत है... 
kuldeep thakur 
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'' अक्षरों पर बन्दिशें हैं '' नामक नवगीत , 

कवि स्व. श्री श्रीकृष्ण शर्मा के नवगीत संग्रह - 

'' अँधेरा बढ़ रहा है '' से लिया गया है - 

अक्षरों पर बन्दिशें हैं , शब्द पर पहरे , 
गीत अब किस ठौर ठहरे ? 
चुप्पियों का एक जंगल है , 
लग रहा सब कुछ अमंगल है , 
सुन न पड़ता कुछ , 
आवाजें कहीं जाकर गड़ गयीं गहरे। 
गीत अब किस ठौर ठहरे... 
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चुन -चुन के जिंदगी के , अरमान जला देता है। 

गज़ल 

मुफलिस को जिंदगी में , जीना भी बता देता है। 
गुमां ,गुरूर, अकड़ सब, पल भर में झुका देता है । 
हों मजबूरियां या चोचले, थोड़ा सा सब्र कर, 
वक़्त वो मुर्शिद है जो , हर इल्म सिखा देता है ... 
अभिव्यक्ति मेरी पर मनीष प्रताप 
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किस बात का चर्चा 

काग़ज़ में रात एक फिर बीता जवाब का 
किस बात का चर्चा था महँगे किताब का 
हर रंग से वाक़िफ़ नहीं ए ज़िन्दगी तेरी !  
है खूं का रंग लाल या फिर गुलाब का ?  
हमें आपके होश का क्यों इंतजार है... 
कविता-एक कोशिश पर नीलांश 
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जेएनयू की खूबसूरत कहानी और वामपंथ! 

किसी विकास के कन्हैया कुमार को थप्पड़ मारने के बाद वैचारिक दिवालिया हो चुका पूरा वाम ‪#‎JNU की खूबसूरत कहानी इस बहाने भी पेश कर देना चाह रहा है। देखो ये जेएनयू है, जहां छात्रसंघ अध्यक्ष को भी थप्पड़ मारने वाले को कुर्सी दी गई है। पानी पिलाया जा रहा है। देश का दूसरा विश्वविद्यालय होता, तो क्या होता। छात्रसंघ अध्यक्ष को मारने वाले के हाथ-पैर टूट जाते... 
HARSHVARDHAN TRIPATHI  
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इन दिनों फैशन नया चला है 

सेना को गरियाने का 

ग़ज़ल 
अभिव्यक्ति की हवा चली है मौसम है बतियाने का
इन दिनों फैशन नया चला है सेना को गरियाने का

सेना में दाल नहीं गलती कमिश्नरी वहां  नहीं चलती
सेना से डरते हैं सो मकसद है सेना को भटकाने का
सरोकारनामा पर Dayanand Pandey 
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इन्वेस्टमेंट 

तुम्हारे पिता ने एक इंवेस्टमेंट किया था, मुझे एक बीज, अपनी कोख रूपी बैंक में सुरक्षित रखने को दिया था। कहा था कि यह मेरा बहुमूल्य इंवेस्टमेंट है, जब हम बूढ़े हो जायेंगे तब यह हमें जीवन का आधार देगा। मैंने इसे अपना मन दिया, आत्मा का अंश दिया और इस बीज के संवर्धन के लिये रस, रक्त, मांस, मज्जा सभी कुछ बिना कृपणता के दिया। जब उस बीज का साक्षात स्वरूप दिखायी दिया तब तुम्हारे पिता ने अपने सुरक्षित हाथों से उसका पालन-पोषण किया... 
smt. Ajit Gupta 
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चौकीदार ऊँघता ही रहा . 

2010 में दूसरी बार राज्य सभा की सदस्यता के लिए दाखिल किए गए हलफनामा में शराब कारोबारी विजय माल्या ने कहा था कि उनके पास कोई भी प्रॉपर्टी नहीं है और न ही कोई कर्ज उन पर बकाया है। बैंकों व वित्तीय संस्थानों से लोन से संबंधित कॉलम में उन्होंने NIL लिखा था। लेकिन माल्या की कम्पनी  को बैंको ने बगैर पड़ताल  के लोन  दिया था  कंपनियों का लोन  इसी तरह देते ही है और फिर कर्ज डूब जाता है नेता और अफसर दोनों खुश रहते है 
यह बात अब प्रकाश में आई  है तो वही  बैक किसानो  को लोन स्वीकारते  समय इतने दस्तावेज मांगती है  कि जिसको पूरा करने के किसान हजारो रुपएखर्ज करने के बाद भी जब कमीशन  देता है तब उसको लोन  मिलता है विजय माल्या   चौकीदार  को धता बताकर भाग गया चौकीदार ऊँघता ही रहा . चौकीदार ऊँघता ही रहेगा इससे  वोट नही बढना है नागपुरी आकाओ  का मुस्लिम विरोध     भी  शामिल    नही है 
 चौकीदार झूठ  का सौदागर है इसी सौदागरी  के कारण  वह आज  शासन में है इसके पुरखे हिटलर ने भी इसी तरह राज्य पर कब्जा किया था फिर नरसंहार   किया था ... 
Randhir Singh Suman 
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उसका नाम कन्हैया है 

संस्समरण सुनील कैंथोला बकरोला जी श्याम को कुत्ता घुमाते हैं, कोई सात बरस पहले एक मलाईदार विभाग से सेवानिवृत हुए हैं, यहीं वसंत विहार एन्क्लेव में बंगला है, ऐशो आराम की कमी नहीं. बकरोला जी का कुत्ता उनसे जायदा हट्टा-कट्टा है. एक तो उम्र में कम है और दूसरा कुत्ता शराब नहीं पीता... 
लिखो यहां वहां पर विजय गौड़ 
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कुछ लोग-36 

अंध भक्ति के रोग से ग्रस्त कुछ लोग 
अंतर नहीं कर पाते 
सही और गलत का 
कल्पना और वास्तविकता का 
जिंदा और मुर्दा का 
आसमान और ज़मीन का... 
जो मेरा मन कहे पर Yashwant Yash 
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