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सोमवार, अप्रैल 04, 2016

"कंगाल होता जनतंत्र" (चर्चा अंक-2302)

मित्रों!
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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"पथ पर जाना भूल गया"  

वो प्रीत निभाना ना भूली,
मैं रीत निभाना भूल गया।
वो छन्द सिखाना ना भूली,
मैं गीत बनाना भूल गया।।

शब्दों से जब बतियाता हूँ,
अनजाने में लिख जाता हूँ,
वो स्वप्न सजाना ना भूली,
मैं मीत बनाना भूल गया... 
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समय 

 समय तुम बलवान 
पर बल का मत करो गुमान . . .  
उसके घर देर है अंधेर नहीं......  
मेरे मन की पर अर्चना चावजी 
Archana Chaoji 
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संस्कृति 

गूँजतीं हैं प्रतिध्वनियाँ, वेद की शाश्वत ऋचायें, 
अनवरत बहती रहेंगी, वृहद संस्कृति की विधायें ।। 
आज कुछ राक्षस घिनौने, भ्रमों के आधार लेकर, 
युगों के निर्मित भवन को, ध्वस्त करना चाहते हैं... 
Praveen Pandey 
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लोहे के घर से-11 

49 अप में बैठा और ट्रेन चल दी! आजकल मैं ट्रेन की तरह स्मार्ट हो गया हूँ! वक्त न मैं जाया करता हूँ न ट्रेन! एक मजेदार बात और हो रही है। न टीवी देख पा रहा हूँ न सोसल मीडिया। बड़े सुकून से कट रही है जिंदगी... 
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय 
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शीर्षकहीन 

Yeh Mera Jahaan पर 
गिरिजा कुलश्रेष्ठ 
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विश्व ऑटिज्म दिवस ! 

2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म दिवस के नाम से जाना जा रहा है। कभी हमने सोचा है कि हमें विश्व ऑटिज्म दिवस की आवश्यकता क्यों पड़ी ? आज जिस गति से जीवन निरन्तर आगे बढ़ता चला जा रहा है ,वैसे ही हम रोगों की दिशा में भी प्रगति कर रहे हैं। आज विश्व में ऑटिज्म ऐसी मानसिक स्थिति बन चुकी है कि इसको एक पृथक दिवस के रूप में लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए स्थान दिया जाने लगा है। सीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार ६८ बच्चों में एक बच्चा ऑटिज्म का शिकार है और लड़कियों की अपेक्षा ये लड़कों में हर ४५ बच्चों में एक बच्चे का औसत है। जीवन की गति जितनी तेजी से ... 
मेरा सरोकार पर रेखा श्रीवास्तव 
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208.  

स्वेटर 

बहुत प्यार से बुना है मैंने एक स्वेटर, 
बहुत मेहनत लगी है इसमें, 
ज़िन्दगी के खूबसूरत लम्हें लगे हैं, 
तब जाकर बना है यह स्वेटर. 
बिल्कुल फ़िट बैठेगा तुमपर, 
बहुत जचोगे इसमें तुम, 
बस तुमसे इतनी विनती है कि 
इसके फंदे मत देखना... 
कविताएँ पर Onkar  
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kursi 

पहले कहा जाता था कि 
कुर्सी के ऊपर कच्चे धागे से 
तलवार बंधी रहती है 
लेकिन टूटकर वह तलवार 
अब हाथ मैं आ गई है 
और जिसे कुर्सी मिल गई है 
वह हर तरह से मजबूत हो जाता है 
दो पैर के स्थान पर 
छ पैर वाला हो जाता है... 
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हिंदी ब्लागिंग 

...अपने विचारों को मनु हिंदी में समसमायिक विषयों पर ब्लॉग लिख कर इंटरनेट से विभिन्न मंचों पर पोस्ट करने लगा । जैसा कि हम सब जानते है, आजकल इंटरनेट का जमाना है ,जिसने पूरी दुनिया की दूरियों को नजदीकियों में बदल दिया है... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi 
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रोटी 

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मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु 
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हारी बाजी 

कहानी मेरी भी औरों से जुदा ना थी 
शतरंज की बिसात पे जैसे जिंदगी सजी थी 
एक अदना सा मोहरा था मैं 
उस चाल का लगाम जिसकी थी... 
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL
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पानी पर धारा 144 

देश में पहली बार है कि 
जब होली के त्यौहार पर किसी इलाके में 
धारा 144 Section 144 on Water 
इसलिए लगा दी गई कि 
लोग पानी न ले पाएं... 
HARSHVARDHAN TRIPATHI  
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तू क्यों ना माने पगली तू क्या है 

अंधियारे से इस गगन में
हिचकोले खाते जीवन में
उम्मीदों की है तू बदली और क्या है
तू क्यों ना माने पगली तू क्या है... 
अनुगूँज पर राजीव रंजन गिरि  
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समय बहुत विकट है देखो, आवेशों में बहते लोग
कहीं लोग हैं उपद्रवियों से, कहीं सहमे डरते लोग

लोकतंत्र का तंत्र जो बिगड़े, लोक भी धीरज ना धरे
असहले हाथों में लेकर, जाने क्या-क्या करते लोग... 
आपका ब्लॉग पर राजीव रंजन गिरि 
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कार्टून-  

पुल गि‍राने वाला भगवान नं.1 

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