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शुक्रवार, अप्रैल 08, 2016

"नैनीताल के ईर्द-गिर्द भी काफी कुछ है देखने के लिये..." (चर्चा अंक-2306)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

गीत  

"गया अँधेरा-हुआ सवेरा"  

...गया अँधेरा-हुआ सवेरा,
उखड़ गया है तम का डेरा,
सूरज की किरणों को पाकर,
कितना सुन्दर प्रात बन गया।
चाँदी की संगत में आकर,
लोहा भी इस्पात बन गया।।... 
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विरक्ति 

Sudhinama पर sadhana vaid 
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रहिमन पानी राखिए... 

काथम पर प्रेम गुप्ता `मानी' 
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सिर्फ प्यार ही नही था हमारे बीच... 

कुछ ऐसा है...  
जो सांसो को हमारी जोड़ता है,  
तुम्हारी वो दोनों आँखे,  
जिनमे सारा दिल बसता है... 
'आहुति' पर Sushma Verma  

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