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सोमवार, अप्रैल 25, 2016

“रूप तो नाचीज़ है" (चर्चा अंक-2323)

मित्रों
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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सुप्रभात... 

मधुर गुंजन पर ऋता शेखर मधु 
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ग़ज़ल  

“रूप तो नाचीज़ है"  

दिलज़लो से पूछिएदिल की लगी क्या चीज़ है
लटकाए फिरता है गले में, वो यार का ताबीज़ है... 
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लागि कटक दल भुज हिन् कैसे । 
कटे साख को द्रुमदल जैसे... 
NEET-NEET पर Neetu Singhal  
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HARSHVARDHAN TRIPATHI  
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मुक्त-मुक्तक : 824 -  

चूमेगी कह-कह बालम ॥ 

हँसके जीने नहीं देते जो लोग आज मुझे , 
मेरे मरने पे मनाएँगे देखना मातम ॥ 
आज लगती है मेरी चाल उनको बेढब सी , 
कल मेरे तौर-तरीक़ों पे चलेगा आलम... 
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नलका 

कविताएँ पर Onkar  
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सेवा करने वाला सम्माननीय 

सेवा करने वाला, कमाने वाले से किसी भी दृष्टि से कमतर नहीं होना चाहिये। इसलिये भक्त को भगवान से बड़ा मानते हैं। आप भी घर में जो आपकी सेवा कर रहा हो उसे सम्मान के भाव से देखें ना कि हेय भाव से। और सम्मान का अर्थ ही होता हाँ अपने बराबर मान देना। पोस्ट को पढ़ने के लिये इस लिंक पर क्लिक करें... 
smt. Ajit Gupta 
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हिसाब 

Sanjay kumar maurya 
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जो भी है तू पर कोई ग़ाफ़िल नहीं है 

हुस्न शायद जो मुझे हासिल नहीं है  
ख़ूब है पर इसका मुस्तक़्बिल नहीं है... 
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’  
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