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शनिवार, मई 14, 2016

"कुछ जगबीती, कुछ आप बीती" (चर्चा अंक-2342)

मित्रों
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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हाईकू सतरंगी  

(लाल,भगुआ ,हरा,श्वेत ,बैगनी,नीला ,पीला ) 

१-
लाल सिन्दूर
लाल ही चुनरिया
बहू है प्यारी |
२-
भगुआ वस्त्र
मुख पर है तेज
सिद्ध पुरुष |
३... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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आज जब तोताराम आया तो उसके साथ एक और सज्जन भी थे-  
बुज़ुर्ग,लम्बे, गोरे और अत्यंत साधारण लेकिन प्रभावशाली | 
हमने पूछा- इन आदरणीय का परिचय... 
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कई बार हमको मुहब्बत हुई
मगर तू भी दिल से न रुख़्सत हुई

तुझे सोचने बैठ जाता हूँ फिर
तुझे सोचने से जो फ़ुर्सत हुई... 

Aabshaar 
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लोकतन्त्र और शैक्षणिक योग्यता 

एक हुआ करते थे तामोटजी। पूरा नाम गुलाब चन्द तामोट। खाँटी समाजवादी थे। सरकार में रहकर समाजवादी व्यवस्था लाने के लक्ष्य से, जब देश के समाजवादियों के एक बड़े धड़े ने काँग्रेस प्रवेश किया, उसी दौर में तामोटजी काँग्रेस में शामिल हुए थे। काँग्रेस में आए जरूर थे लेकिन उनका ‘चाल-चरित्र-चेहरा’ बराबर समाजवादी ही बना रहा। द्वारिकाप्रसादजी मिश्र ने उन्हें केबिनेट मन्त्री का दर्जा देकर अपनेे मन्त्रि मण्डल में शामिल किया था। वे चौथी कक्षा तक ही पढ़े थे। अपनी यह ‘शैक्षणिक योग्यता’ वे भरी सभा में खुलकर बताते थे और परिहास करते हुए, लोगों से कहते थे - ‘अपने बच्चे को अफसर-बाबू बनाना हो तो खूब पढ़ाओ... 
एकोऽहम् पर विष्णु बैरागी 
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सुखद यह कि मन की सूखी नदी में 

धार ले कर लौटी है 

फ़ोटो : गौतम चटर्जी
ग़ज़ल 
जो चिरई उड़ गई थी बादलों में फिर धरती पर लौटी है 
सुखद यह कि मन की सूखी नदी में धार ले कर लौटी है  
 
दूब पर जैसे गिरती है ओस धरती पर बारिश की बूंद जैसे
प्यार की नदी में बहती संबंधों की एक नाव ले कर लौटी है... 
सरोकारनामा पर Dayanand Pandey 
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गुबार 

मैं लाख कोशीशें करू या कहूं कि मेरी किसी राजनैतिक पार्टी से संबद्धता नहीं है पर मेरे मन-मस्तिष्क पर जो विचारधारा धरातल बनाकर बैठी है वह नित्य प्रतिक्रियास्वरूप बाहर आती रहती है, हो सकता है कि आप इससे सहमत ना भी हों. वर्तमान में केंद्र में सत्तासीन पार्टी भाजपा के बारे में अब party with difference वाले जुमले को सुन कर तकलीफ होने लगी ... 
जाले पर पुरुषोत्तम पाण्डेय 
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