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रविवार, जून 26, 2016

"लो अच्छे दिन आ गए" (चर्चा अंक-2385)

मित्रों
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

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फ्लेमिंगो सी उम्मीदें ...... 

गुलाबी फ्लेमिंगो सी उम्मीदें 
उनकी रंगीली चमकीली 
लौ जैसी जैसे ढेरों गुलाबी पक्षी 
लम्बी गर्दनें उठा कर 
गुलाबी कतारों में चलते हुए 
एकाएक इधर उधर फ़ैल जाते हों 
विस्तार पाने के लिए, 
जल परिधि के बीच..  
Mukesh Kumar Sinha  
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लो अच्छे दिन आ गए। 

क़र्ज़ में डूबा किसान,
इंसान बना अब हैवान,
सो रहे हैं हुक्मरान,
लो अच्छे दिन आ गए।

जी भर के की मैंने पढ़ाई,
मास्टर डिग्री भी मैंने पाई,
पर नौकरी नहीं मिली भाई,
लो अच्छे दिन आ गए... 
iwillrock:nitish tiwary's blog.परNitish Tiwary 
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एक हद तक 

*एक हद तक* 
*जीये जा सकते हैं सब 
सुख एक हद तक ही सहा जा सकता है 
कोई दुख सरल सी चाही हुई जिंदगी में 
मिलती हैं कई उलझने 
बेहिच बदल देते हैं हम रास्ता 
मनचाहे को पाने के लिए... 
बावरा मन पर सु-मन  
(Suman Kapoor) 
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आग 

आग भभक उठी है, 
तो दोष केवल तीलियों को मत दो, 
आग लगाने के लिए 
माचिस की डिबिया भी चाहिए... 
कविताएँ पर Onkar 
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पहला रोज़ा 

 याद नही उम्र कितनी थी, पांचवे का इम्तेहान दिया था और अब तक रमज़ान में इफ्तारी खाने का ही लुत्फ उठया था कि रमज़ान के छट्वें रोज़े के दिन अम्मा दादी अम्मा के साथ लोगों की फेह्रिस्त बनाती बरामद हुईं. अप्रैल का महिना, ऐन मेरी सालगिरह के एक दिन पहिले... 
आवारगी पर lori ali 
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ओ मेरे गोपाल 

प्यार पर Rewa tibrewal  
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हाईकू  

(एक प्रयास ) 

jahaan mile dharatee aur aasamaan के लिए चित्र परिणाम
१-
साथ दीखते
धरा और गगन
कभी न मिले |
२-
बनी रहती
सुख -दुःख में दूरी
पट न पाती |... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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यह आयोजन सरकारी है 

की तैयारी है या 
रोने की फिर बारी है 
क्यों दशकों से छले गए हम 
नादानी या लाचारी है 
वादे बदले, शासक बदला 
जनता अब तक बेचारी है ... 
मनोरमा पर श्यामल सुमन 
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पुलिस महानिदेशक फेल 

उत्तर प्रदेश की बिगडती हुई कानून व्यवस्था का मुख्य कारण प्रदेश के नौजवान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पुलिस व्यवस्था के ऊपर कोई नियंत्रण न होना. अगर उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की सरकार वापस नहीं आती है तो उसकी साड़ी जिम्मेदारी वर्तमान पुलिस तंत्र की है. कानून और न्याय का राज समाप्त हो गया है जिसकी चाहो प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखो जिसकी चाहो न लिखो. यह बात आये दिन दिखाई देती है किसी का उत्पीडन करना हो तो पुलिस को मिलाकर आप सब कुछ कर सकते हैं.  
Randhir Singh Suman 
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