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बुधवार, अगस्त 31, 2016

एक टुकड़ा धूप का ले आऊंगा ...चर्चा मंच ;2451

शीलहरण पे पढ़ रही, भीड़ व्याह के मन्त्र

धर्म-कर्म पर जब चढ़े, अर्थ-काम का जिन्न |
मंदिर मस्जिद में खुलें, नए प्रकल्प विभिन्न ||1||


मजे मजे मजमा जमा, दफना दिया जमीर |
स्वार्थ-सिद्ध सबके हुवे, लटका दी तस्वीर ||2|| 

"कुछ कहना है"

कार्टून :-  

डोनाल्‍ड तो भारत में भी जीते ही जीते 

Kajal Kumar 

Derecognize that fake country Pakistan :  

My appeal to the Indian Govt 

haresh Kumar 

क्या आँच दे सकेंगे बुझते हुए शरारे 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 

जन्माष्टमी 

देवेन्द्र पाण्डेय 

वसीयत -  

भगवती चरण वर्मा 

Devendra Gehlod 

Prayers  

(संध्या) 

Anubhav Sharma 

कंगाल... 

विभा रश्मि 

yashoda Agrawal 

सोई आत्मा- 

लघुकथा 

ऋता शेखर मधु 

नए नरसंहार की तैयारी 

Randhir Singh Suman a

कहु कबीर छूछा घटु बोलै  

(खाली घड़ा ही बोलता है -थोथा चना बाजे घना ) 

Virendra Kumar Sharma 

श्री कृष्ण-अर्जुन युद्ध 

गगन शर्मा 

"योर नोज़ इज़ वेरी टेस्टी........" 

Amit Srivastava 

एक_मुसलमान_की_आपबीती 

haresh Kumar 

एक टुकड़ा धूप का ले आऊंगा ... 

Digamber Naswa 

बालगीत- 

गिलहरी  

"सबके मन को भाती हो"  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

मंगलवार, अगस्त 30, 2016

एक मरे हुए देश की कथा; चर्चा मंच ; 2450


रविकर के 51 दोहेरविकर 
"कुछ कहना है" 

भाषा वाणी व्याकरण, कलमदान बेचैन।
दिल से दिल की कह रहे, जब से प्यासे नैन।।

रस्सी जैसी जिंदगी, तने तने हालात |
एक सिरे पे ख्वाहिशें, दूजे पे औकात |

अगर वेद ना पढ़ सको, पढ़ो वेदना नित्य ।
कैसे हो मानव सुखी, करो वही फिर कृत्य ||

वक्त कभी भी ना दिया, रहे भेजते द्रव्य |

घड़ी गिफ्ट में भेज के, करें पूर्ण कर्तव्य ||

 सोते सोते भी सतत, रहो हिलाते पैर |
दफना देंगे अन्यथा, क्या अपने क्या गैर || 

बूझे बिरला कोय 

rajeev kumar Kulshrestha 

ग़ज़ल 

कालीपद "प्रसाद" 

एक टुकड़ा धूप का ले आऊंगा ... 

एक टुकड़ा धूप का ले आऊंगा 
जब कभी सूरज से मैं टकराऊंगा 
"सत्य" सच है जान कर जाना नहीं 
दूसरों को किस कदर समझाऊंगा... 
Digamber Naswa 

एक मरे हुए देश की कथा 

vijay kumar sappatti 

फ़िराक़ गोरखपुरी से क्षमा-याचना के साथ 

Gopesh Jaswal 

कश्मीरी अराजकता पर काबू जरूरी 

pramod joshi 

Hockey Pockey, Plain Talk, Double Talk, 

मधुलेखा, कांची....in हैदराबाद ! 

सतीश पंचम 

**~दोहे--अपने देते तोड़! ~** 

Anita Lalit (अनिता ललित ) 

बातों का फ़लसफ़ा 

mahendra verma 

उम्मीदों की सलीब 

मुकेश कुमार तिवारी 

सिर्फ एक दो ईंटों से ही 

udaya veer singh 

एलोरा की गुफ़ाओं की सैर 1994 

ब्लॉ.ललित शर्मा 

---प्रेम तत्वामृत---- डा श्याम गुप्त..... 

shyam gupta 

गीत  

"सूरज आग उगलता जाता" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

धर्म और राजनीति -  

एक पुनर्परिभाषा 

Ravishankar Shrivastava 

google chrome में गलती से 

बंद हुवे टैब को दुबारा खोले 

Faiyaz Ahmad 

बालगीत 

"जोकर" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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जो काम नही कर पायें दूसरे,
वो जोकर कर जाये।
सरकस मे जोकर ही,
दर्शक-गण को खूब रिझाये।

नाक नुकीली, चड्ढी ढीली,
लम्बी टोपी पहने,
उछल-कूद कर जोकर राजा,
सबको खूब हँसाये... 

सोमवार, अगस्त 29, 2016

"शैक्षिक गुणवत्ता" (चर्चा अंक-2449)

मित्रों 
सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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गीत  

"बचपन के दिन याद बहुत आते हैं"  

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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घर-आँगन वो बाग सलोने, याद बहुत आते हैं
बचपन के सब खेल-खिलौने, याद बहुत आते हैं

जब हम गर्मी में की छुट्टी में, रोज नुमाइश जाते थे
इस मेले को दूर-दूर से, लोग देखने आते थे
सर्कस की वो हँसी-ठिठोली, भूल नहीं पाये अब तक
जादू-टोने, जोकर-बौने, याद बहुत आते हैं... 
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तलाश अभी बाक़ी है 

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साँसों पर पहरा लगा है
जिन्दगी की तलाश बाक़ी है
आशा निराशा में झूलता मन
सत्य की तलाश अभी बाक़ी है
जहर तो मिल ही जाता है
अमृत की तलाश अभी बाक़ी है... 
Akanksha पर Asha Saxena 
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रात की आवाज़ 

गहरी काली रात, 
न चाँद, न सितारे, 
न कोई किरण रौशनी की. 
चारों ओर पसरा है डरावना सन्नाटा, 
सिर्फ़ सांय-सांय हवा बह रही है... 
कविताएँ पर Onkar  

जिंदगी की तलाश 

चल एक बार फिर से जिंदगी की तलाश करे 
तेरी खुशियों में अपनी खुशियाँ तलाश करे... 
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL  
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तमिलनाडु के एक चिकित्सा महाविद्यालय की फीस २ करोड़ होने की खबर से नयी शिक्षा नीति निर्माताओं को सबक लेनी चाहिए। शिक्षा को धंधेबाजों के हाथों में देने से शिक्षा का भला नही होने वाला। सरकार को चाहिए कि शैक्षणिक संस्थान खोलने वाले के चाल चलन से लेकर योग्यता, क्षमता, नीयत की ठोक बजाकर परख करे... 
PAWAN VIJAY 
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अंदाज़े ग़ाफ़िल पर चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 

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कुछ   मुद्दतो  के  बाद  सही  फैसले  हुए ।
निकले   तमाम  हाथ  तिरंगे  लिए   हुए... 

Naveen Mani Tripathi 
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कैंसर से बचाव के लिए 

महत्वपूर्ण उपाय 

कैंसर से बचाव के लिए महत्वपूर्ण उपाय वैसे तो देखा जाये तो कैंसर ना ठीक होने वाली बीमारी है। लेकिन कहते है कि यहाँ कुछ भी असम्भव नहीं है। कुछ रोगों में पहले ही सम्हल जाये तो बहुत ही अच्छा होता है। और पहले जब सम्हाला जाता है जब हम कुछ परहेज करते है या कुछ उपाये अपनाते है। आज ऐसे कुछ कुछ उपाय मैं आपको बता रहा हूँ जिससे आप कैंसर जैसे रोग से निपटने में मदद मिलेगी... 
हिंदी इंटरनेट पर Mukesh Sharma 
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वह एकाक्षी था  

जो कार्यकर्ता रखता हो समभाव, देखता हो सबको एक नजर से, आगामी विधानसभा चुनाव के लिये- वह होगा दल का प्रत्याशी। एक कार्यकर्ता जो पहने था काला चश्मा- खड़ा हो गया। बोला, “ इस अर्हता का मैं एक मात्र प्रत्याशी हूँ। छोटे-बड़े, स्त्री-पुरुष, दोस्त और दुश्मन- सबको एक ही नजर से देखता हूँ। श्रीमान न हो विश्वास करलें पुष्टि, यह कहकर उसने अपना चश्मा उतार दिया। लोगों ने देखा वह एकाक्षी था। 

Jayanti Prasad Sharma 
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