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शुक्रवार, अक्तूबर 21, 2016

"करवा चौथ की फि‍र राम-राम" {चर्चा अंक- 2502}

मित्रों 
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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गीत 

"जल रहा च़िराग है" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

Image result for चिराग
सवाल पर सवाल हैंकुछ नहीं जवाब है।
राख में दबी हुईहमारे दिल की आग है।।

गीत भी डरे हुएताल-लय उदास हैं.
पात भी झरे हुएशेष चन्द श्वास हैं,
दो नयन में पल रहानग़मग़ी सा ख्वाब है।
राख में दबी हुईहमारे दिल की आग है... 
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आशाओं के दीप 

आँगन-आँगन आशाओं के दीप जलाती 
मन रोशन हो जाते, जब दीवाली आती 
छोड़ रंज-गम हो जाता ब्रह्मांड राममय 
दिशा-दिशा दुनिया की, मंगल-गान सुनाती... 
कल्पना रामानी 
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करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनायें 

जीवन की राहों में ले हाथों में हाथ 
साजन अब हम चल रहे दोनों साथ साथ 
अधूरे है हम तुम बिन सुन साथी 
मेरे आओ जियें 
जीवन का हर पल साथ साथ... 
Ocean of Bliss पर 
Rekha Joshi  
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मत पुछो वीर कि बुरा लगता है 

*सावन के अंधे को सदा हरा लगता है 
चाँद की बिसात क्या सूरज उगाये मैंने 
धरती ही नहीं आसमान भी डरा लगता है... 
udaya veer singh 
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अब प्यार नहीं करना 

जीते जी क्यों मरना अब प्यार नहीं करना । 
बहकर भावों की धारा में, कवि बैरागी नहीं बनना 
चाहत को क्यों लिखना, देवदास ही क्यों बनना 
अब प्यार नहीं करना... 
प्रभात 
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भूख- 

लघुकथा 

ऋता शेखर मधु 
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करवा चौथ 

करवा चौथ समाज में कुछ है आस्था उससे ज्यादा प्रचलित है व्यवस्था, प्रगतिशील वैज्ञानिक युग में ज्ञान का विस्फोट हो चुका है उसके रौशनी में छटपटा रही है कुछ आस्था तोड़ना चाहती है पुरानी व्यवस्था... 
कालीपद "प्रसाद" 
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राजा 

"मम्मा, आज की दाल बहुत गाढ़ी है , मगर टेस्टी है " अनुज ने कहा। ठीक है , ठीक है । कितनी बाते करते हो खाते वक़्त " इरा ने प्यार से झिड़क दिया अनुज को। इरा खा चुकी थी, रागेश और अनुज अभी ही खा रहे थे... 
Sandhya Prasad 
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क्यों .......  

सुनो ....... 

झरोख़ा पर निवेदिता श्रीवास्तव 
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5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सूत्र एवं बेहतरीन चर्चा ! मेरी हास्य कथा को आज के मंच पर सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

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