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बुधवार, अक्तूबर 26, 2016

पिता मुलायम हाथ से, आज खुजाता माथ- चर्चा मंच 2507


कुछ अच्छा ही होगा कल,.. 

Priti Surana 

इसलिए कीजिए चीनी सामान का बहिष्कार 

lokendra singh 

गागर में सागर पुस्तक मेले का शुभ समापन –  

डा रंगनाथ मिश्र को मेला संयोजक 

श्री देवराज अरोरा ने अपना गुरु घोषित किया-  

डा श्याम गुप्त

माया महा ठगनी हम जानी।। 

Virendra Kumar Sharma 

"प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली"-2 

yashoda Agrawal 

गाँव नहीं रहा अब गाँव जैसा...3 

केवल राम 

दोहे  

"नहीं जेब में दाम" 

(डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

Image result for दिवाली पर सजे बाजार
मनमोहक सबको लगें, झालर-बन्दनवार।
जगमग करती रौशनी, सजे हुए बाजार।।

मन सबका ललचा रहे, काजू औ’ बादाम।
लेकिन श्रमिक-किसान की, नहीं जेब में दाम।।

5 टिप्‍पणियां:

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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