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रविवार, दिसंबर 11, 2016

"अच्छा लगता घाम" (चर्चा अंक-2553)

मित्रों 
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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statue 

Aparna Khare 
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शीर्षकहीन 

तुझ साकोई मिलेना मिले......परमुझेमुझसामिलहीगया ........ 
आशा बिष्ट
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दो तस्वीर 

मैंने इन्द्रधनुष से 
कुछ रंग चुराया 
उनमे तेरे साथ बिताये 
पलों को मिलाया 
और बनायी दो तस्वीर 
एक तेरी एक मेरी... 
प्यार पर 
Rewa tibrewal 
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ऐसे कैसे तुम जाओगे 

नहीं हुआ अभी तक कुशल क्षेम, 
नहीं हुई कोई बात। 
नहीं कही अपनी नहीं सुनी हमारी, 
दुख के कैसे झेले झंझावत। 
बिना कहे मन की पीड़ा को, 
ऐसे ही ले जाओगे..... 
ऐसे कैसे,,,, 

मन के वातायन(Mankevatayan) पर 

Jayanti Prasad Sharma 

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मेरी यह जिन्दगी 

तुम से ही तो खूबसूरत है ... 

शुक्रिया जिंदगी , पल-पल साथ देने को , 
चाहे कभी तुम भ्रम हो कभी सत्य। 
नज़र आती हो धुंध के धुँधलके में कभी परछाई सी। 
बढ़ती हूँ तेरी और बढ़ाते हुए धीमे -धीमे कदम , 
गुम हो जाती हो भ्रम सी। 
फिर भी जिंदगी खूबसूरत हो तुम... 

नयी उड़ान + पर 

Upasna Siag 

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टूटी_फूटी_औरतें 

शरीर की थकान 
जरा देर को आराम कर मिट जाता है____ 
लेकिन इस मन की 
थकान का क्या किया जाये____ 
दूर कहीं किसी वीराने में 
बस एक दिन को पनाह ढूंढता 
ये मन रोना चाहता है जी भर___ 
Nibha choudhary 
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3 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर रविवारीय चर्चा। आभार 'उलूक' का सूत्र 'बेवकूफ हैं तो प्रश्न हैं उसी तरह जैसे गरीब है तो गरीबी है' को जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर रविवारीय चर्चा। मेरी रचना को शामिल करने के लिये बहुत बहुत धन्यबाद।

    जवाब देंहटाएं

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