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मंगलवार, दिसंबर 27, 2016

मांगे मिले न भीख, जरा चमचई परख ले-; चर्चामंच 2569

रविकर की कुण्डलियाँ

रविकर निर्मल हास्य, प्रार्थना पूजा विनती-  


विनती सम मानव हँसी, प्रभु करते स्वीकार।
हँसा सके यदि अन्य को, करते बेड़ापार।

करते बेड़ापार, कहें प्रभु हँसो हँसाओ।

रहे बुढ़ापा दूर, निरोगी काया पाओ।

हँसी बढ़ाये उम्र, बढ़े स्वासों की गिनती।
रविकर निर्मल हास्य, प्रार्थना पूजा विनती।।  

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खले चाँदनी चोर को, व्यभिचारी को भीड़। 
दूजे के सम्मान से, कवि को ईर्ष्या ईड़।
कवि को ईर्ष्या ईड़, बने अपने मुंह मिट्ठू।
कवि सुवरन बिसराय, कहे सरकारी पिट्ठू।
रविकर तू भी सीख, किन्तु पहले तो छप ले।
मांगे मिले न भीख, जरा चमचई परख ले।। 

गीत  

"आने वाला है नया साल" 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") 

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

आशाएँ सरसती हैं मन में
खुशियाँ बरसेंगी आँगन में
सुधरेंगें बिगड़े हुए हाल। 
आने वाला है नया साल।।

कार्टून:-  

बेचारा कैशलेस सैंटा 

Kajal Kumar 

3 टिप्‍पणियां:

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