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रविवार, जनवरी 22, 2017

"क्या हम सब कुछ बांटेंगे" (चर्चा अंक-2583)

मित्रों 
चर्चा मंच पर सप्ताह में तीन दिन 
(रविवार,मंगलवार और बृहस्पतिवार) 
को ही चर्चा होगी। 
रविवार के चर्चाकार डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री मयंक
मंगलवार के चर्चाकार 
और 
बृहस्पतिवार के चर्चाकार 
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रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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जय भारती 

य भारती जय भारती जय भारती जय भारती 
२६ जनवरी राजपथ को रंगों से है संवारती 
२६ जन को हमने अपना, संविधान लागू किया 
रौशनी चमकी यहाँ, हमने जलाया, 
अपना दीया पगपग बढ़ते रुकते ना हम, 
मना रहे गणतंत्र है दुनिया में हमसे बड़ा न, 
कोई और जनतंत्र है बार बार जन्मे यहाँ हम, 
पावन धरा पुचकारती 
जय भारती जय भारती जय भारती जय भारती ... 
Rajeev Sharma 
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है कौन 

Akanksha पर 
Asha Saxena 
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सीढ़ी और कंधे 

आगे बढ़ने की पहली सीढ़ी 
किसी के कंधे पर से होकर ही गुजरती है... 
पर धीरेन्द्र अस्थाना  
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ओशो की चूक 

ओशो ने कबीर की बहुत प्रशंसा की और बहुत कुछ बोला भी ।
पर ?
गुरुता, शिष्यता, मुक्तभोग वर्जना, धन, संपत्ति स्त्रीगत सम्बन्ध (लेकिन सिर्फ़ ‘काम सम्बन्ध’ ही नहीं अन्य भी) आदि ज्ञान और शिष्यता के बेहद खास अंगों पर बेहद विरोधाभास है... 
rajeev Kulshrestha 
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केवल चलते रहना 

लड़की तू चल तुझे चलाने का चलन है 
इसलिए चल पर नापते हुए नयी राहों को... 
हमारी आवाज़ पर शशिभूषण 
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दो मुक्तक 

आपका ब्लॉग पर आनन्द पाठक 
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उम्र 

उम्र ना पूछ ए हबीबी  
बचपन संग जीना अभी बाकी हैं 
जवानी की दहलीज़ में... 
RAAGDEVRAN पर 
MANOJ KAYAL 
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शीर्षकहीन 

Shri Sitaram Rasoi 
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किताबें और मेले 

देवेन्द्र पाण्डेय 
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उस दिन ... 

Sunehra Ehsaas पर 
Nivedita Dinkar 
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एक कविता 

एक अदृश्य बोझ है 
जो ज़्यादातर लमहों में 
रहता है मेरे सिर पर सवार ! 
बहुत चाहता हूँ कि उतार फेंकूँ 
सिर से अनवरत समस्याओं का ये बोझा ... 
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बहू – बेटी 

उगी मायके रोपी ससुराल में 
बेटी की पौध बढ़ती गयी नयी ज़मीन पर 
बे अवरोध मैके की छाया छोड़ ससुराल की धूप में 
खड़ी बेटी हमारी सर्व गुण सम्पन्न हिम्मती 
बड़ी सोन चिरैया कैद हुई पिंजरे ससुराल में... 
Sudhinama पर 
sadhana vaid 
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वे महिलाएं 

बल्लियों के सहारे,  
सिर पर बोझ लिए,  
आसमान की ओर धीरे-धीरे बढ़ती  
दुबली-पतली महिलाओं को देखकर 
मुझे बड़ा डर लगता है. 
कहीं बल्ली टूट गई तो... 
कविताएँ पर Onkar 
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बालगीत  


"पढ़ने में भी ध्यान लगाओ"  

बच्चों अब मत समय गँवाओ, 
पढ़ने में भी ध्यान लगाओ, 
सीख काम की हम सिखलाते। 
प्रतिदिन पुस्तक को दुहराओ, 
पास परीक्षा में हो जाओ... 
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बालगीत  

"मेरी प्यारी मुनिया"  

*इतनी जल्दी क्या है बिटिया,  
सिर पर पल्लू लाने की। 
अभी उम्र है गुड्डे-गुड़ियों के संग, 
समय बिताने की... 

6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर लिंक्स से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! 'बहू - बेटी' भी आज के मंच पर उपस्थित हैं देख कर हर्षानुभूति हुई ! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा चर्चा मंच सजा है आज का |
    मेरीरचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन लिंक्स..
    आदरणीय शास्त्री जी, मेरी कविता को यहाँ स्थान देने के लिए धन्यवाद! आभार!

    जवाब देंहटाएं

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