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मंगलवार, मार्च 21, 2017

चक्का योगी का चले-; चर्चामंच 2608


गौरैया 

Jayanti Prasad Sharma 
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खेतों में विष भरा हुआ है,
ज़हरीले हैं ताल-तलय्या।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या?

अन्न उगाने के लालच में,
ज़हर भरी हम खाद लगाते,
खाकर जहरीले भोजन को,
रोगों को हम पास बुलाते,
घटती जाती हैं दुनिया में,
अपनी ये प्यारी गौरय्या।
दाना-दुनका खाने वाली,
कैसे बचे यहाँ गौरय्या...
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हरिपुरधार की रोमांचक यात्रा --- भाग - 2 

sushil kumar  
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दाँतों को पीस , मुट्ठियों को कस ख़ुदा क़सम ॥
खा-खा के एक दो न बल्कि दस ख़ुदा क़सम ॥
इक दौर था पसीना मेरा ग़ुस्से में भी तुम ,
इत्रे गुलाब बोलते थे बस ख़ुदा क़सम ॥
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मौसम चुनावी 

Akanksha पर Asha Saxena 
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अंशदान 

RAAGDEVRAN पर
MANOJ KAYAL 
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बाप का साया 

Sudhinama पर sadhana vaid 
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"कुछ कहना है"

चक्का योगी का चले-

Yogi Adityanath

आज और बस आज ... 

मुसलसल रहे आज तो कितना अच्छा ... 
प्रश्नों में खोए रहना ... 
जानने का प्रयास करना ... 
शायद व्यर्थ हैं सब बातें ... 
जबरन डालनी होती है जीने की आदत 
आने वाले एकाकी पलों के लिए ... 
Digamber Naswa 

अब राष्ट्रपति-चुनाव की रस्साकशी 

pramod joshi 

उधार का अधनंगा राष्ट्रवाद-4 : 

भारतेंदु ने रेंग रहे लोगों को उठाया 

सुधीर राघव 

क्या नारीशक्ति यथार्थ है? 

Shalini Kaushik 

सुरेन्द्र वर्मा की कविताएँ 

Dr Abnish Singh Chauhan 

दोनों की तूफानी शैली बड़ा बवंडर लायेगी... 

नरेन्द्र से विवेकानन्द की भूमि को नमन 

smt. Ajit Gupta 

कार्टून :- रामलाल हाज़ि‍र हो. 

Kajal Kumar 

निगल और निकल 

यही रास्ता सबसे आसान नजर आता है 

सुशील कुमार जोशी 

पथ भ्रष्ट नही कर पाओगे..... 

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी 

लड़कियों की जिंदगी 

Anusha Mishra 

"मैं नहीं,आपकी EVM खराब है जी"!! -  

पीताम्बर दत्त शर्मा 

PITAMBER DUTT SHARMA 

मज़बूरी’......मीनू परियानी 

yashoda Agrawal 

वो प्यार तुम हो...!!! 

Sushma Verma 

वादे मोदी के -इरादे योगी के 

Randhir Singh Suman 

आज शीतला सप्तमी पर होली की आग का ठंडा करके होली के त्योहार का समापन होता है, तो अपनी अत्यंत ठंडी ग़ज़ल लेकर आ रहे हैं भभ्भड़ कवि भौंचक्के। 

पंकज सुबीर at सुबीर संवाद सेवा

उड़ान का आभाष 

shashi purwar 

HARSHVARDHAN TRIPATHI 

प्यार पर 
Rewa tibrewal  

शब्द सक्रिय हैं पर सुशील कुमार  
*वो लड़की * 
*अक्सर देखती रहती * 
*सूर्य किरणों में उपजे * 
*छोटे सुनहरी कणों को * 
*हाथ बढ़ा पकड़ लेती * 
*दबा कर बंद मुट्ठी में ... 

सु-मन (Suman Kapoor)  

गीत "दिल तो है मतवाला गिरगिट" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 

9 टिप्‍पणियां:

  1. विस्तार से चर्चा ब्लॉग जगत की ...
    आभार मेरी रचना को शामिल करने का ...

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर एवं पठनीय सूत्र तथा सार्थक चर्चा ! मेरी लघु कथा 'बाप का साया' को सम्मिलित करने के लिए आपका आभार रविकर जी !

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर चर्चा रविकर जी और आभार भी 'उलूक' का ।

    जवाब देंहटाएं
  4. उम्दा चर्चा रविकर जी |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति। मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यबाद।

    जवाब देंहटाएं

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