फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, जुलाई 22, 2017

"मोह से निर्मोह की ओर" (चर्चा अंक 2674)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--

सुबह हुई 

Sudhinama पर sadhana vaid  
--
--
--

president voting 


Mere Man Ki पर Rishabh Shukla  
--

मोह से निर्मोह की ओर 

मोह से ही तो उपजता है निर्मोह 
मोह की अधिकता लाती है 
जीवन में क्लिष्टता और सोच हो जाती है कुंद 
मोह के दरवाज़े होने लगते हैं बंद... 
संगीता स्वरुप ( गीत )  
--

मैं इस बात से आहत हूँ 

संजयसिन्हा की एक कहानी पर बात करते हैं। वे लिखते हैं कि मैंने एक बगीचा लगाया, पत्नी बांस के पौधों को पास-पास रखने के लिये कहती है और बताती है कि पास रखने से पौधा सूखता नहीं। वे लिखते हैं कि मुझे आश्चर्य होता है कि क्या ऐसा भी होता है? उनकी कहानियों में माँ प्रधान हैं, हमारे देश में माँ ही प्रधान है और संस्कृति के संरक्षण की जब बात आती है तो आज भी स्त्री की तरफ ही देश देखता है। पौधों की नजदीकियों से लेकर इंसानों की नजदीकियों की सम्भाल हमारे देश में अधिक है। इसलिये जब लेखक अपने दायरे में सत्य को देखता है और सत्य को ही लिखता है तब उसकी कहानी अंधेरे में... 
--
--
--
--

यादें 

कविता मंच पर sweta sinha 
--
--
--

अनाम रिश्ते 

रिश्ते कुछ अनाम अभी बाक़ी हैं 
काँटो में भी रह गुलाब की तरह 
खिलने की चाह अभी बाकी हैं ... 
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL 
--

भला हो 

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ 
--
--
--
--
--
--
--

गाँव के लोग  

हालात आजकल पर प्रवेश कुमार सिंह 
--

यादें ...  

बस यादें 

यादें यादें यादें ... 
क्या आना बंद होंगी ... 
काश की रूठ जाएँ यादें ... 
पर लगता तो नहीं 
और साँसों तक तो बिलकुल भी नहीं ... 
क्यों वक़्त जाया करना ...  
स्वप्न मेरे ...पर Digamber Naswa 
--
--
--

पहन लूँ मुंदरी तेरे नाम की 

उलझनों में उलझी इक डोर हूँ मैं या तुम नही जानती मगर जिस राह पर चली वहीं गयी छली अब किस ओर करूँ प्रयाण जो मुझे मिले मेरा प्रमाण अखरता है अक्सर अक्स सिमटा सा , बेढब सा बायस नहीं अब कोई जो पहन लूँ मुंदरी तेरे नाम की और हो जाऊँ प्रेम दीवानी... 
एक प्रयासपरvandana gupta 

5 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा लिंक्स। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर लिंकों से सजी चर्चा,
    आभार मेरी दो रचनाओं मूर्ख राधेश्याम और President Voating को स्थान देने के लिए|

    https://meremankee.blogspot.com/2017/07/president-voting.html
    https://kahaniyadilse.blogspot.com/2017/07/foolish-boy.html

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूबसूरत लिंक्स से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।