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शुक्रवार, सितंबर 08, 2017

"सत्यमेव जयते" (चर्चा अंक 2721)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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काला रंग और हंसमुख चेहरा 

याने कि मास्साब की नजर में 

...हमारे स्कूल में एक कुट्टिय्या स्वामी मास्साब थेउनका नाम यूँ तो आर के शास्त्री था मगर जिस बेरहमी से वो बच्चों की कुटाई किया करते थेउसके चलते न जाने कब कौन उनका नामकरण कुट्टिय्या स्वामी कर गयाबैच दर बैच उन्हें अनऑफिसियली आपसी बातचीत में इसी नाम से संबोधित करता रहाशायद उनको पता भी न रहा हो.

बात बात पर बांस की बेंत से छात्रों को तब तक कूटतेजब तक कि बन्दा न टूट जाये या बेंत न टूट जायेहालांकि हम पढ़ाई में इतने बड़े गणेश भी न थे कि रोज कूटे जायें... 

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हमसाया 

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी 
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विधवा विलाप की तरह ... 

मत बोलना सच 
सच बोलना 
गुनाह है... 
vandana gupta  
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हत्यारा 

यह समय 
अनुकूल है 
हत्या के लिए 
अनुकूल है
 हत्यारों के लिए भी... 
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छम्मकछल्लो 

ठाणे की एक अदालत का सराहनीय फ़ैसला  आया है,
महिला  को "छम्मकछल्लो " कहना जुर्म ठहराया है।
शब्द ,इशारे या किसी गतिविधि से महिला का अपमान होने पर
केस दर्ज़ होता है -
भारतीय दंड संहिता की धारा 509
केस   दर्ज़  हुआ  :  09 -01 -2009
आरोप - पड़ोसी पुरुष ने "छम्मकछल्लो" कहकर पड़ोसन को अपमानित किया
फ़ैसला - आरोप सही , शब्द अपमानजनक
सज़ा - अदालत उठने तक साधारण क़ैद
जुर्माना -एक  भारतीय  रुपया
केस की अवधि - साढ़े आठ साल से अधिक 
पुलिस - केस दर्ज़ नहीं किया... 
Ravindra Singh Yadav - 
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अँधेरे का समर्थन करना 

याने खुद अँधेरे में गुम होना 

गौरी लंकेश की हत्या कर दी गई। लगा, घर में मौत हो गई है। कोई अपनेवाला नहीं रहा। दुःख तो बहुत हो रहा है किन्तु ताज्जुब बिलकुल ही नहीं हुआ। यह तो होना ही था। खुद गौरी ने ही अपनी यह मौत तय की थी। अपनी ही बनाई हुई सलीब पर चढ़ीं वह। गौरी जैसा दूसरा कोई नहीं हो पाएगा। उनसे बेहतर या उनसे बदतर ही होगा। लेकिन उनकी मौत से उनकी परम्परा के लेखन का सिलसिला रुकेगा नहीं... 
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स्व शरद बिल्लोरे को समर्पित :  

कविता 

वो था तो न था
नहीं है तो तैर कर 
आ जाता है आँखों में 
टप्प से टपक जाता है 
आँसुओं के साथ 
फिर गुम हो जाता है वाष्पित होकर 
विराट में 
आता ज़रूर है 
गाहे बगाहे 
भाई था न ... 
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7 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना। जमाना बदल रहा है। आप को क्या है कहना जरा लोगों से पूछ भी लेना । आज की प्रस्तुति में 'उलूक' को भी जगह देने के लिये आभार।

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  2. हर बार की तरह उम्दा चर्चा...मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. चर्चामंच की प्रस्तुति सुरुचिपूर्ण एवं वैचारिक मंथन को आमंत्रित करती है। बधाई आदरणीय शास्त्री जी। आभार सादर। मेरी रचना छम्मकछल्लो को स्थान देने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।

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  4. अच्छे चयन हैं , चर्चामंच का नया गेट अप सुन्दर है --

    जवाब देंहटाएं

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