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शनिवार, सितंबर 09, 2017

"कैसा हुआ समाज" (चर्चा अंक 2722)

मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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मानवता को रौंदकर 

आज कहाँ कानून है, कैसा हुआ समाज? 
मारे जाते, जो करे, अब ऊँची आवाज... 
मनोरमा पर श्यामल सुमन 
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बरसों बरस की मित्रता है हमारी 

bachpan पर दीनदयाल शर्मा  
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दोहे 

नभ पर बादल गरजते ,घटा घिरी घनघोर । 
रास रचाये दामिनीे ,मचा रही है शोर... 
Ocean of Bliss पर Rekha Joshi  
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कर्मों के फल 

अंतर्नाद का नाद हैं ये 
ख़ुद से संघर्ष का 
रणभेदी आगाज़ हैं ये... 
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL 
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सुप्रभातम्! जय भास्करः!  

१६ ::  

सत्य नारायण पाण्डेय 

पापा से बातचीत :: एक अंश  
अभी पितृपक्ष चल रहा है! ब्राह्मणों के दान ग्रहण करने और ऐसा करने के परिणाम दुष्परिणाम से सम्बंधित कई कुतर्क एवं भ्रांतियों को लेकर एक सहज सी बातचीत का कुछ अंश. सोचा यहाँ भी संकलित हो जाए... 
अनुशील पर अनुपमा पाठक 
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6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    आभार,आभार और आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभकामनाएं!
    किसी भी धर्म को केन्द्र मे रखकर रचनाकार को सत्य से इतर साहित्य विवेचन की इजाजत सत साहित्य नही हो सकता । साहित्य सर्वमान्य हो सर्वग्राह्य और सर्वाधिक कल्याण करने वाला होना सर्वोत्तम , आक्रोश की झलकियां प्रश्न चिन्हों को जन्म देने की भूमिका में खडा कर सकती है।

    जवाब देंहटाएं

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