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मंगलवार, अक्तूबर 24, 2017

"दो आँखों की रीत" (चर्चा अंक 2767)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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हम भारत के मत दाता है.... 

हम भारत के मत दाता है....
हमारे पास मत देने का अधिकार
आज से नहीं त्रेता युग से है,
हमने तब भी
अपना मत दिया था 
श्रीराम को राजा बनाने के लिये
"श्री राम हमारे राजा होंगे"
पर श्री राम को वनों में भेजा गया
हमने नहीं पूछा
तब भी राजा से
हमारे मत के अधिकार का क्या हुआ?... 
kuldeep thakur 
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राजीनीति जनसेवा का माध्यम है 

Randhir Singh Suman 
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हाँ, मैं तुम्हें महसूस कर सकती हूँ.... 

श्वेता सिन्हा 

Image result for महसूस कर सकती हूँ
विविधा.....पर yashoda Agrawal  
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‘मैं चमारों की गली तक ले चलूंगा आपको’ 

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समय ओ धीरे चलो धीरे चलो 

नन्ही कोपल पर कोपल कोकास 
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परिवर्तन. मौसम. जीवन 

अनुशील पर अनुपमा पाठक  
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याद.... शबनम शर्मा 

मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal  
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गोविंदघाट से घांघरिया ट्रैकिंग 

मुसाफ़िर हूँ यारों पर नीरज जाट 
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फेरीवाला  

Shantanu Sanyal  
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दीनदयाल शर्मा:  

बाल साहित्य के मर्मज्ञ रचनाकार 

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शुभ मुहूर्त कितने शुभ होते हैं? 

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किताबों की दुनिया -148 

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सुप्रभातम्! जय भास्करः!  

३५ ::  

सत्यनारायण पाण्डेय 

अनुशील पर अनुपमा पाठक  
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मम्मी जी की असामान्य स्वास्थ्य की बातें  

(Unusual Health problems)

कल्पतरु पर Vivek  

4 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    छठ पर्व की शुभकामनाएँ
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. सभी बढ़िया लिंक्स प्रस्तुत किए हैं आपने, आदरणीय शास्त्री जी। मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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