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रविवार, नवंबर 19, 2017

"श्रीमती इन्दिरा गांधी और अमर वीरंगना लक्ष्मीबाई का 192वाँ जन्मदिवस" (चर्चा अंक 2792)

मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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आज क्युँ? 

Purushottam kumar Sinha  
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माँ बाप।। 

जो थे चिराग कभी घर के, 
कैसे देहरी के बुझे दिये हो गये। 
जिनके बिना सभी रचनाएं थी अधूरी, 
कैसे जिंदगी के हाशीये हो गये... 
kamlesh chander verma  
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सन्नाटा 

Sudhinama पर sadhana vaid  
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सत्यानुरागी 

Akanksha पर Asha Saxena  
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पानी है।। 

यूं मेरी कहानी भी एक चुप सी कहानी है 
कुछ लफ्ज हैं डूबे से कुछ नज्मों में पानी हैं... 
Parul Kanani  
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दोहे  

"नारी बहुत अनूप" 

(राधा तिवारी) 

साड़ी में अच्छी लगेभारत की हर नार।नारि-जाति के साथ मेंकरना शुभ व्यवहार।।
कोमलांगी कहते इसेशक्ति का यह रुप।खुश रहती हर हाल मेंनारी बहुत अनूप... 
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आन बसों तुम मोरी नगरिया,
हे घट घट के वासी
कन्हैया मोरे छोड़ के मथुरा-काशी
कान्हा तुम हो प्यार का सागर,
फिर क्यूँ  सुनी मोरी गागर,
कौन कसूर भयो रे मोसे,
जो मै रह गई प्यासी,
कन्हैया मोरे छोड़ के मथुरा-काशी... 
मन से पर नीतू ठाकुर

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति विविधताओं से भरी हुई।

    जवाब देंहटाएं
  2. मान्यवर सादर प्रणाम मेरी रचना नारी बहुत अनूप को आज की चर्चा मंच में स्थान देने के लिए बहुत-बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्‍यवाद शास्‍त्री जी, मेरे ब्‍लॉग को अपने इस संकलन में स्‍थान देने के लिए आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! दोनों महान विभूतियों का हार्दिक अभिनन्दन ! मेरी रचना को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदयसे धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर संयोजन ..
    बहुत बधाई और आभार !
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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