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रविवार, नवंबर 05, 2017

"हारा सरल सुभाव" (चर्चा अंक 2779)

मित्रों!
रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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सब्जी बिकती धान से, 

दाम नहीं है पास 

झनकइया वन में लगामेला बहुत विशाल।
वियाबान के बीच मेंबिकता सस्ता माल।।
 
यहाँ सिँघाड़े बिक रहेगुब्बारों की धूम।
मस्ती में-उल्लास मेंलोग रहे हैं घूम।।
 
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फिर नींद आ गई मेरी कोशिशों को 

वो रात भर यादें छूती रहीं.. 
मेरे जहन के हर हिस्सों को, 
सुबह तक कोशिश की सोने की.. 
फिर नींद आ गई मेरी कोशिशों को ... 
Dipanshu Ranjan  
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कार्तिक पूर्णिमा 

"बढ़ जाएगा प्यार" (राधे गोपाल) 

गुरू पूर्णिमा पर सभी
करलो आज नहान।
संकट सारे दूर हों, 
कृपा करें भगवान।।

पावन दिन है जाइए
सब नदिया के तीर ।
ईश्वर की भक्ति करो
भर अंजुलि मैं नीर।।
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सब्र किस दर्जा काम आता है 

[आज इस 'ब्लॉग' के चार वर्ष पूरे हो गए। 
इन चार वर्षों में आप लोगों का जो स्नेह और सहयोग मिला, 
उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया और आभार। 
यूँ ही आप सभी का स्नेह और 
मार्गदर्शन मिलता रहे यही चाह है। 
इस मौक़े पर एक ग़ज़ल 
आप सब के लिए... 
Himkar Shyam 
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10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात,
    वो रात भर यादें छूती रहीं..
    मेरे जहन के हर हिस्सों को,
    सुबह तक कोशिश की सोने की..
    फिर नींद आ गई मेरी कोशिशों को ...
    बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। मेरी रचना को भी सम्मानित करने के लिए आभार आदरणीय मयंक जी।
    सभी साथी रचनाकारों को मेरी भी हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत उम्दा रचनायें
    बेहतरीन संकलन
    सभी रचनाकारों को बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  3. sundar v sarthak links ,meri posts ko sthan dene hetu hardik dhanyawad

    जवाब देंहटाएं
  4. धन्‍यवाद शास्‍त्री जी,मेरी पोस्‍ट को शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. शुभ प्रभात, कल व्यस्तता के कारन चर्चा पढ़ नहीं पाया, आज पढ़ा, सुन्दर चर्चा !
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर चर्चा, पठनीय लिंक्स.... आभार मेरी रचना शामिल करने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  7. मेरी कवीता को चर्चा में शामिल करने के लिये बहुत बहुत आभार

    जवाब देंहटाएं

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