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शुक्रवार, दिसंबर 15, 2017

"रंग जिंदगी के" (चर्चा अंक-2818)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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गति और किनारा 


अनुशील पर अनुपमा पाठक  
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राजसमंद 

राजसमंद एक असुर हाथ में कुल्हाड़ी ले काटता है आदमी को फिर जला देता है डालकर पेट्रोल और बनाता है वीडियो कई असुर लगाते है अट्टहास गाते है आसुरी गीत करते है आसुरी नृत्य अरे रुको झांको तो अपने अंदर धर्म ध्वज धारी कोई असुर हमारे अंदर भी तो नहीं मंद मंद मुस्कुरा रहा है...  
चौथाखंभा पर ARUN SATHI  
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एक और शाम.... 


धरोहर पर yashoda Agrawal  
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कोमल घरौंदे रेत के वो, टूटकर बिखरे रहे- 

हरिगीतिका 

नौका समय की जब बनी वो, अनवरत बहने लगी | 
मासूम बचपन की कहानी, प्यार से कहने लगी || 
कोमल घरौंदे रेत के वो, टूटकर बिखरे रहे | 
हम तो वहीं पर आस बनकर, पुष्प में निखरे रहे ... 
मधुर गुंजन पर ऋता शेखर 'मधु'  
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दिल दिल न रहा,  

पत्थर हो गया है शायद 

तेरी बेरुखी का असर हो गया है शायद 
दिल दिल न रहा, पत्थर हो गया है शायद 
Sahitya Surbhi पर Dilbag Virk 
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7 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय बहुत सुंदर प्रस्तुति
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार
    लेखन सार्थक हुआ।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर और सार्थक चर्चा | मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार |

    जवाब देंहटाएं

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