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मंगलवार, दिसंबर 19, 2017

"ढकी ढोल की पोल" (चर्चा अंक-2822)

मित्रों!
मंगलवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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किताबों की दुनिया - 156 


नीरज पर नीरज गोस्वामी 
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यादों में--- 

बृजेश नीरज। 

तुम्हारे घर सुना सबेरा बहुत है  
यहाँ रात बीती अँधेरा बहुत है... 
कविता मंच पर kuldeep thakur  
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छेड़छाड़ 

छेड़छाड़ करने वाले गंदे लड़कों ने प्यार करने वालों का जीना हराम कर दिया है. इतने सख्त क़ानून बनवा दिए कि लड़कों का लड़कियों को लाइन मारना भी मुश्किल हो गया है. पता नहीं कौन किस बात का बुरा मान जाय और शिकायत कर दे! फिलिम में नायक द्वारा नायिका को छेड़ने, छेड़ते-छेड़ते पटा लेने और अंत में विलेन से दो-दो हाथ करने के बाद दोनों के मिलन के सुखांत देख-देख हम बड़े हुए हैं. लड़की का भाई, पिताजी बाद में रिश्तेदार पहले तो हमें विलेन ही लगते थे. अब दृश्य बदल चुके हैं. पति को पत्नी से भी शराफत से बात करनी पड़ती है... 
बेचैन आत्मा पर देवेन्द्र पाण्डेय 
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पूस की रात 

कांपती हड्डियाँ ठिठुरते गात
 है निर्दय सी ये पूस की रात ....  
घुटनों में शीश झुका बैठे है 
कातर स्वर से पुकार उठे है  
न जाने कब होगी प्रभात... 
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रो रही हैं आज क्यों फिर पुतलियाँ ... 

छत भिगोने आ गईं जो बदलियाँ 
शोर क्यों करती हैं इतना बिजलियाँ... 
Digamber Naswa  
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7 टिप्‍पणियां:

  1. लाजवाब चर्चा ... बहुत से नए सूत्र मिल गए ..
    आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए आज ...

    जवाब देंहटाएं

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