फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, फ़रवरी 09, 2018

(चर्चा अंक-2874)

मित्रों!
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--
--

पहाड़ी नदी 


स्वर्ग से नीचेधरा पर उतरीपहाड़ी नदी
करने आईउद्धार जगत काकल्याणी नदी... 
Sudhinama पर sadhana vaid  
--
--
--
--

अन्नदाता 

Lovely life पर Sriram Roy  
--
--

कुरुक्षेत्र 

हर कोई सुकून की तलाश में भटक रहा है 
कोई घर में तो कोई बाहर सुकून तलाशता है... 
प्यार पर Rewa tibrewal  
--
--

पुता हुआ काँच 

प्रवेश कुमार सिंह 
--
--
--
--
--

पागल मन.... 

लक्ष्मीनारायण गुप्त 

मेरी धरोहर पर yashoda Agrawal 
--
देता है ऋतुराज निमन्त्रण,
तन-मन का शृंगार करो।
पतझड़ की मारी बगिया में,
फिर से नवल निखार भरो।।

नये पंख पक्षी पाते हैं,
नवपल्लव वृक्षों में आते,
आँगन-उपवन, तन-मन सबके,
वासन्ती होकर मुस्काते,
स्नेह और श्रद्धा-आशा के
दीपों का आधार धरो... 

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर सूत्रों का संकलन ! मेरी रचना को आज के मंच पर स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी !

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।