फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, फ़रवरी 21, 2018

"सुधरा है परिवेश" (चर्चा अंक-2886)

मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

आध्यात्म 

अदालत में गवाही हित निवेदन दोस्त ठुकराया। रहे चौबीस घण्टे जो, हमेशा साथ हमसाया। सुबह जो रोज मिलता था, अदालत तक गया लेकिन वहीं वह द्वार से लौटा, समोसा फाफड़ा खाया। बहुत कम भेंट होती थी, रहा इक दोस्त अलबेला अदालत तक वही पहुंचा, हकीकत तथ्य बतलाया। बदन ही दोस्त है पहला, पड़ा रहता बिना हिलडुल सगा सम्बन्ध वह दूजा, बदन जो घाट तक लाया। मगर सद्कर्म ही रविकर हमारा दोस्त है सच्चा अदालत में गवाही के लिए जो साथ में आया।।... 
"लिंक-लिक्खाड़" पर रविकर 
--
--
--
--
--
--

सुनो ताड़का....  

दिनेश श्रीवास्तव 

नि:शब्द हूँ पढकर कि एक पुरुष स्त्री की इस पीड़ा को इतनी गहराई से समझता देखता और परखता है कि उसमें विश्व की हर स्त्री की पीड़ा समा जाती है | आपकी लेखनी को मेरा नमन | काश!!! पुरुषसत्तात्मक समाज इसे पढ़े और महसूस करे स्त्री के इस दुःख को ताकि हर रोज़, हर घर में स्त्री प्रताड़ना से बच जाए और समय के मुंह पर कालिख लगे चेहरे को लिखने से इतिहास भी बच सके| हर स्त्री की तरफ से आपका आभार | .... 
गीता पंडित 
--

जनान बाजारी --  

भाग छह  

शरारती बचपन पर sunil kumar 
--

वजह 

बड़ा उदास है 
आज दिल 
मेरी प्यारी बुलबुल 
कुछ तो जी बहला जा... 
Sudhinama पर sadhana vaid 
--
--

एक व्यथा कथा 

आख़िरकार उसे बचाया नहीं जा सका...... जी हाँ, एड़ी चोटी के जोर लगाए.....ये डॉक्टर कभी वो डॉक्टर....ये अस्पताल तो कभी वो अस्पताल...मग़र अंततोगत्वा, खोना ही पड़ा एक प्रिय साथी ... 
--
--

यूँ न आंखों से बातें किया कीजिये 

यूँ न आंखों से बातें किया कीजिये, 
इश्क़ का यूँ सबक न दिया कीजिये । 
हम तो नादान हैं प्यार में कुछ सनम, 
तुम खबर कुछ तो दिल की लिया कीजिये ... 
Harash Mahajan  
--
--

कुछ दीवारें 

डॉ. अपर्णा त्रिपाठी  
--
--

7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    आज शायद कुछ तकनीकी गड़बड़ी थी
    कुल मिलाकर अब ठीक है
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति आज की ! मेरी रचना को आज के चर्चामंच में स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  3. अति सुंदर प्रस्तुति आदरणीय !! मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।

    जवाब देंहटाएं
  4. चर्चा मंच में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया सर...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अह्छी प्रस्तुति है | मेरे ब्लॉग की पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए हृदय से आभार सर |

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।