फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, अप्रैल 12, 2018

"क्या है प्यार" (चर्चा अंक-2938)

गुरूवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--

काव्यानुवाद  

"क्या है प्यार-रॉबर्ट लुई स्टीवेंसन"  

(काव्यानुवादक- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

आज तुम्हारे बिना हमारा,
कितना शान्त अकेला घर है।
नये-पुराने मित्रवृन्द के लिए
प्रशंसा के कुछ स्वर हैं।... 
--
--

हाईकू 

Akanksha पर Asha Saxena 
--
--
--

दोषी कौन ? 

वह ४८ वर्ष की तलाकशुदा महिला थी ,उसके दो बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं . एमिरात के इस छोटे शहर के प्राइवेट अस्पताल में अच्छे वेतन पर हेड नर्स की नौकरी में जनवरी २०१८ से लगी हुई थी,सूत्रों के अनुसार उसका सबसे मिलनसार स्वभाव था. कल शाम उसने अस्पताल की इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली. कोई नोट नहीं छोड़ा. यह घटना इसलिए लिख रही हूँ कि बात सिर्फ किसी दुर्घटना की नहीं बल्कि इस घटना के एक दूसरे दुखद पहलू की है. अस्पताल के अधिकारियों द्वारा भारत में उसके परिवार से संपर्क किये जाने पर उसके परिवार और उसके बच्चों तक ने उसका शव लेने से मना कर दिया ,न ही वे उसको देखना चाहते हैं... 
Alpana Verma अल्पना वर्मा 
--
--

इक बच्चे ने सब देख लिया 

इक बच्चे नेजब देख लिया  
इक बच्चे नेसब देख लिया  
ये बड़े तोबिलकुल छोटे हैं!  
इक बच्चे ने कब देख लिया... 
Sanjay Grover  
--
--

अभिशाप 

ऐ हमसफ़र तेरे नवाजिश कर्म की ही मेहरबानियाँ  
हैं धड़कने आज भी तेरे साँसों की कर्जदारियाँ ... 
RAAGDEVRAN पर MANOJ KAYAL 
--
--
--
--
--

हटा ! ये 'आरक्षण'!!! 

हैं तो सहोदर ही!
खिलाया तूझे बना फूल,
और मैं मनोनित शूल!
गड़ता रहा बरबस मैं
विलास वीथिका में.
बुर्जुआ बाजीगरी,
अभिजात्य वैभव वर्ण!
मैं सर्वहारा विवर्ण,
कुलहीन, सूतपुत्र कर्ण!
कुलीन,गांडीवधारी, तू
सखा-गिरधारी,
द्रोण शिष्य,तुणीर भव्य!
लांछित,शापित, शोषित
सहता समाज का दंश
अकेला, मैं एकलव्य!...
--

5 टिप्‍पणियां:

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।