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बुधवार, अप्रैल 18, 2018

"सबसे बड़े मुद्दा हमारे न्यूज़ चैनल्स" (चर्चा अंक-2944)

मित्रों! 
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 

देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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व्यक्ति के व्यक्तित्व का सही निर्धारण  

उसके सदगुणों से होता है ... 

एक राजा था उसके राज्य में मंत्रियों की कमी थी तो उसने मंत्री रखने के लिए साक्षात्कार का सहारा लिया । सैकड़ों लोगों में से दो लोगों को अंतिम साक्षात्कार के लिए चुना गया । एक व्यक्ति सुंदर था और दूसरा व्यक्ति बेहद कुरूप दिखता था । राजा ने दोनों के लिये अलग अलग इंटरव्यू की व्यवस्था की। सबसे पहले उसने कुरूप व्यक्ति को बुलाया और कहा - तुम्हारे साथी ने तुम्हारे बारे में जो जो बातें कहीं हैं उसमें मुझे तनिक भी विश्वास नहीं हो रहा है । राजा से कुरूप व्यक्ति ने कहा - यदि उसने मेरे बारे में जो कुछ भी कहा होगा तो सही ही कहा होगा क्योंकि व्यक्ति को अपने दोष खुद नहीं दिखाई देते हैं... 
समयचक्र पर महेंद्र मिश्र  
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औरंगजेब के काल की याद आ रही है 

पिछले कई दिनों से रह-रहकर औरंगजेब के काल की याद आ रही है, देश के किसी मन्दिर को बक्शा नहीं गया था और ना ही ऐसी कोई मूर्ति शेष रही थी जो तोड़े जाने से बच गयी हो। घर में भी पूजा करना दुश्वार हो गया था, लोग चोरी-छिपे पूजा करते थे और खुश हो लेते थे। लोगों के पास से मन्दिर बनाने का काम चुक गया तो लोग अपने परिवार बनाने लगे, परिवारों में मनुष्य तैयार होने लगे और देखते ही देखते औरंगजेब का काल समाप्त हो गया और मुगल सल्तनत का चाँद भी सूरज की रोशनी में कहीं खो गया। अंग्रेज आए, फिर मन्दिर बनने प्रारम्भ हुए और इस बार आर्य समाज ने सावचेत किया कि मूर्तियों से प्यार मत करो, 
अपितु देश से प्यार करो...... 
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ज़रूरी है भूचाल .... 

गीता पंडित 

दौड़ते हुए सड़कों पर रौंदते हुए 
समय की रीढ़ को अनमने नहीं थे पाँव 
जानते थे कहाँ रुकना है ... 
जानते थे कहाँ पंहुचना है 
मालूम थी मंजिल तय थे रास्ते 
पंख थे उड़ने के लिये हाय रे सैय्याद !
 कैसे हो गयी तुम्हारी कैची इतनी पैनी ... 
हम और हमारी लेखनी पर गीता पंडित 
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बालगीत  

"ककड़ी बिकतीं फड़-ठेलों पर"  

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

लम्बी-लम्बी हरी मुलायम।
ककड़ी मोह रही सबका मन।।
कुछ होती हल्के रंगों की,
कुछ होती हैं बहुरंगी सी,
कुछ होती हैं सीधी सच्ची,
कुछ तिरछी हैं बेढंगी सी,
ककड़ी खाने से हो जाता,
शीतल-शीतल मन का उपवन।
ककड़ी मोह रही सबका मन... 

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया चर्चा है काफी अच्छे लिंक पढ़ने मिलें साथ ही चर्चा मंच में मेरे ब्लॉग समयचक्र की पोस्ट को स्थान दनें के लिए धन्यवाद आभार ...

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  2. धन्यवाद रूपचन्द्र शास्त्री जी....

    जवाब देंहटाएं

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