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सोमवार, मई 07, 2018

"मिला नहीं है ठौर ठिकाना" (चर्चा अंक-2963)

सुधि पाठकों!
सोमवार की चर्चा में 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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रविवार की छुट्टी का काला सच 

रविवार की छुट्टी का काला सच

 जिसे कोई नही जानता हम सबको को 

सप्ताह में रविवार की छुट्टी का इंतजार रहता है

 लेकिन इस छुट्टी का इतिहास कोई नही जानता है।

 हम सब जानते हैं की हमे आजादी के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा था

उसी प्रकार हमें रविवार की छुट्टी के लिए भी संघर्ष करना पड़ा था। 

जब भारत में अंग्रेजो का शासन था तो 

भारत के मजदूरों और कर्मचारियों को सप्ताह के सातों दिन कार्य करना पड़ता था

Digvijay Agrawal  at 
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Nitish Tiwary a
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संवरने का हुनर 

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मजदूर 

मजदूर, ऐसा शब्द, 
जिससे प्रायः हम सभी परीचित होंगे, 
वही गंदे पुराने कपडे, पसीने से सने हुए, 
चहरे पर गहरी लकीरे,और मन में हीनता की भावना|  
आज मजदूर दिवस,हम धूम धाम से मनाएंगे... 
Hindi Kavita Manch पर ऋषभ शुक्ला 
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व्यक्ति की स्वाधीनता - 

कुछ दिन पहले 104 साल के बॉटनी और इकोलॉजी के प्रख्यात वैज्ञानिक डेविड गुडऑल ने ऑस्ट्रेलिया में अपने घर से विदा ली और अपनी ज़िंदगी ख़त्म करने के लिए दुनिया के दूसरे छोर के लिए रवाना हो गए. उन्हें कोई बड़ी बीमारी नहीं है लेकिन वे अपने जीवन का सम्मानजनक अंत चाहते हैं. उनका कहना हैं कि उनकी आज़ादी छिन रही है और इसीलिए उन्होंने ये फ़ैसला लिया... 
लालित्यम् पर प्रतिभा सक्सेना 

5 टिप्‍पणियां:

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