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बुधवार, मई 30, 2018

"किन्तु शेष आस हैं" (चर्चा अंक-2986)

सुधि पाठकों!
बुधवार की चर्चा में 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।
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मेरे माथे की बिंदिया   

(राधा तिवारी "राधेगोपाल" ) 

मेरे माथे की बिंदिया तो, 
सनम हरदम चमकती है।
तुम्हीं को देखकर साजन, 
मेरी नथनी मटकती है... 
RADHA TIWARI at 
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बेटी 

1-ख्यालों में बेटी
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हर समय रहती

है प्रिय मुझे
2- बेटी का दुःख
सहन नहीं होता
दिल से प्यारी... 
Akanksha पर Asha Saxena  
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वो हसीन दर्द ---  

पिछले कई दिनों से वह खासी परेशान नज़र आ रही है । उनका कहना है कि लगभग दो वर्षों से एक लड़का है जो उन्हें परेशान कर रहा है । परेशान कहें तो इस अर्थ में कि वह उन्हें लगातार घूरता रहता है । जब वह ऑफिस जाती हैं तो उसी समय अपनी बाइक लेकर आ जाता है और उनके पीछे - पीछे रोज़ उनके ऑफिस तक पहुँच जाया करता है । जिन दिनों वह उन्हें परेशान करता था, वे प्रसन्न रहती थीं... 
कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे 
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किताबों की दुनिया - 179 

नीरज पर नीरज गोस्वामी 
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उदास आसमान 

क्योंकि नदी के पानी में 
फ़ैल गया है  जहर 

यह जहर धर्म का हो सकता है 

हो सकता है यह राजनीति का 

और हो सकता है विश्वासघात का 

जिसे पीकर चिड़ियों के पंख 

हो रहे हैं कमजोर ... 
सरोकार पर Arun Roy 
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Quote -  

लम्हें जिन्दगी के 

मेरी जुबानी पर Sudha Singh 
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कुछ दिन तो गुज़ारिये पर्यटन में.....! 

अपनी बात...पर वन्दना अवस्थी दुबे  
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6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. अद्यतन लिंकों के साथ सार्थक चर्चा।
    आपका आभार राधा तिवारी जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात लिंकों की सार्थक चर्चा |मेरी लिंक शामिल करने के लिए धन्यवाद राधा जी |

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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