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शुक्रवार, जून 15, 2018

"लोकतन्त्र में लोग" (चर्चा अंक-3002)

मित्रों! 
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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विदाई  

(राधातिवारी "राधेगोपाल") 

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तुम जहां भी रहो याद आओगे तुम l
 यादों में रहोगे ना होंगे कभी गुम ll

 गुरुजनों की दुआएं रहेगी संग संगl
 पढ़ लिख कर भरना अपने जीवन में रंग... 
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लोग  

आत्महत्या क्यों करते हैं 

आत्महत्या क्यों करते हैं 
और हम उन्हें कैसे बचा सकते हैं, 
इसके लिए समाज को 
अथक प्रयास करना होंगे... 
कल्पतरु पर Vivek 
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निसीम एज़िकेल की कविता  

"दर्शन" का अनुवाद 

*निसीम एज़िकेल अंग्रेजी के महत्वपूर्ण कवि हैं . उनकी कवितायेँ दुनिया भर में पढ़ी जाती हैं . उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है . उनकी कविता "दर्शन" का अनुवाद करने का दुस्साहस मैंने किया है . दर्शन एक जगह है जहां मैं अक्सर जाता हूं, योजना बना कर नहीं बल्कि स्वतः खिंचा चला जाता हूँ सभी अस्तित्व से दूर, अंतिम प्रकाश तक जिसका इच्छा अनियंत्रित है यहां, ईश्वर का सृजन कभी धीमा नहीं पड़ता सृष्टि के अलौकिक आभा, अपनी उत्कृष्टता प्रदर्शित करने के लिए होता हुआ विघटित असंख्य तारों को मिटा कर अदम्य उत्साह के साथ एक पल में घटित होता है समय की उदास आंखों में ... 
सरोकार पर Arun Roy  
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5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय डॉ. रूपचंद शास्त्री 'मयंक' सर, मेरे पोस्ट को चर्चामंच में शामिल करने के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। दिल की अनंत गहराइयों से आभार...

    जवाब देंहटाएं
  4. One father is more than a hundred schoolmasters.

    George Herbert

    शास्त्रीजी हार्दिक आभार ।
    सभी रचनाकारों को बधाई !

    जवाब देंहटाएं

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