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शुक्रवार, जुलाई 13, 2018

"लोग हो रहे मस्त" (चर्चा अंक-3031)

मित्रों! 
शुक्रवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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बेवफ़ाई तो है इस दौर का कमाल 

मुहब्बत टूटने का न कर मलाल 
बेवफ़ाई तो है इस दौर का कमाल। 

बस रौशनी की ही अहमियत है 
कौन पूछता है चिराग़ाँ का हाल... 
Sahitya Surbhi पर 
Dilbag Virk - 
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----- ॥ दोहा-पद १८ ॥ ----- 

  ----- || राग-बिहाग | -----
बाँध मोहि ए प्रेम के धागे प्यारे पिय पहि खैंचन लागे  |
अँखिया मोरि पियहि को निरखे औरु निरखे नाहि कछु आगे ||
निरखै ज्योंहि पिय तो सकुचै आनि झुकत कपोलन रागे |
ढरती बेला सों मनुहारत  कर जोर मन मिलन छन मागे ... 
NEET-NEET पर 
Neetu Singhal  
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बेगम जान 

एक पुरानी फिल्म जो शायद दो साल पहले अपनी कहानी पर्दे पर कह रही थी, उसकी चर्चा भला मैं आज क्यों करना चाहती हूँ, यही सोच रहे हैं ना आप! बेगम जान जो नाम से ही मुस्लिम पृष्ठभूमि की दिखायी देती है, साथ में एक कोठे की कहानी बयान करती है। कल टीवी पर आ रही थी तो आखिरी आधा घण्टे की फिल्म देखी, बस उसी आधा घण्टे की बात करूंगी, शेष फिल्म में क्या था, मुझे नहीं मालूम। बेगम जान का कोठा है, कई लड़कियाँ वहाँ रहती हैं लेकिन हुकुम मिलता है कि कोठा खाली कर दो। बेगम जान बन्दूक लेकर खड़ी हो जाती है और सामने थी गुण्डों की फौज। लड़कियों के हाथ में बन्दूक है, युद्ध हो रहा है लेकिन मुठ्ठी भर लड़कियां... 
smt. Ajit Gupta  
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संकल्प 

Sudhinama पर sadhana vaid - 
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7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर चर्चा ! मेरी रचनाओं को आज की चर्चा में सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  2. सिक्कों में बिकने लगा, दुनिया में ईमान।
    लोग रूप की धूप पर, करते हैं अभिमान।।
    कब ढल जाती धूप है रहता नहीं गुमान ,
    कभी न करिये रूप पर बित्ता भर अभिमान।
    बेहतरीन सन्देश देती दोहावली शास्त्रीजी की।

    जवाब देंहटाएं
  3. simplicity is the beauty of this poetry.

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    कविता
    "कर दो कान्हा भव से पार"
    ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )

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    कविता
    "कर दो कान्हा भव से पार"
    ( राधा तिवारी "राधेगोपाल " )



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