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शनिवार, सितंबर 01, 2018

"आंखों में ख्वाब" (चर्चा अंक-3081)

मित्रों! 
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 
देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक। 

(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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आंखों में ख्वाब  

( राधा तिवारी "राधेगोपाल " ) 

आंखों में ख्वाब सुख के हो,   कोई न हो नमी।
 आपस में सबसे मित्रता हो, ना हो दुश्मनी... 
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कौन है बैरी 


Sudhinama पर sadhana vaid 
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लगा दो आग इस गुलशन में...!! 

लगा दो आग इस गुलशन में 
नही जिसकी तुमको ज़रूरत है। 
शोलों की तपिश में देख ले दुनिया 
असल में क्या हकीकत है... 
kamlesh chander verma  
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यूँ तो हैं अंगूर खट्टे 

आग को पानी बुझा दे पानी में भी आग है  
ऐ समन्दर! शोर तेरा पर छुपा इक राग है,,, 
मनोरमा पर श्यामल सुमन 
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अशोक आंद्रे 

शब्द खोज करते शब्द फिसल जाते हैं अकसर 
चादर ओढ़ तैरने की नाटकीय कोशिश 
करते समय की लहरों पर लहराते 
परों की लय पर संघर्षों का इतिहास 
बाँधने लगते हैं सब 
फिर कैसे डूबने लगते हैं शब्द ... 
kathasrijan पर 
ashok andrey  
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मनोबल 

कुछ भी हो जाये  . . 
आदमी चोट खाता है पर

फिर उठ खड़ा होता है। 

हिम्मत का धनी होता है... 
noopuram  
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6 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात,

    शनिवार की चर्चा का रस पान करके आनंद आ गया।
    स्थान देने के लिए आभार।

    जवाब देंहटाएं
  2. कृष्णमय हो रहा है आज का चर्चामंच ! सभी मित्रों व पाठकों को जन्माष्टमी की अग्रिम शुभकामनाएं ! आज की चर्चा में मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर कृष्णमय चर्चा। आभार आदरणीय 'उलूक' की बकबक को भी जन्माष्टमी त्यौहार के बीच में जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय सर -- सदर आभार मेरे रचना का मान अपने मंच पर बढाने के लिए | सभी एनी लिंक बहुत ही अछे और पठनीय हैं |सादर आभर |

    जवाब देंहटाएं

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